शादी के 6 महीने के भीतर आपसी सहमति से तलाक़ नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2025-09-26 11:42 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक दंपति की उस अपील को खारिज किया, जिसमें उन्होंने शादी के महज़ छह महीने के भीतर ही आपसी सहमति से तलाक़ मांगा था। अदालत ने साफ़ कहा कि जब तक विवाह में अत्यधिक कठिनाई या घोर दुराचार साबित न हो तब तक छह महीने से पहले तलाक़ की अनुमति नहीं दी जा सकती।

मामला

याचिकाकर्ता दंपति का विवाह 3 मार्च, 2025 को हुआ था। हालांकि, 21 मार्च 2025 से ही दोनों अलग रहने लगे और कुछ समय बाद आपसी सहमति से तलाक़ की अर्जी दायर कर दी। फैमिली कोर्ट ने उनकी याचिका 13 अगस्त 2025 को खारिज कर दी।

पति की ओर से अपील में दलील दी गई कि उनके लिए विशेष कठिनाई यह है कि मुक़दमेबाज़ी की वजह से वे विदेश नहीं जा पा रहे हैं, इसलिए अदालत को अनुमति देनी चाहिए थी।

अदालत की राय

जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने कहा,

"जब दोनों पक्ष आपसी सहमति से तलाक़ मांग रहे हैं तो यह अपने आप इस बात के खिलाफ़ जाता है कि उनमें से कोई अत्यधिक कठिनाई या घोर दुराचार का शिकार है। विधायिका का आशय साफ़ है कि विवाह को एक अवसर अवश्य दिया जाना चाहिए।"

अदालत ने कहा कि विवाह के सिर्फ़ 20 दिन बाद अलग हो जाना और छह महीने के भीतर तलाक़ की अर्जी लगाना क़ानून की भावना के अनुरूप नहीं है।

नतीजा

अदालत ने अपील खारिज की और टिप्पणी की कि अभी समय है। हो सकता है पति पत्नी अपने रिश्ते को सुधारने की कोशिश करें। बाद में क़ानूनी अवधि पूरी होने पर वे आपसी सहमति से तलाक़ ले सकते हैं।

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