इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में अपराध स्थल जांच की SOP की समीक्षा हेतु स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दर्ज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण आदेश में उत्तर प्रदेश में अपराध स्थलों की जांच के लिए अपनाई जा रही मानक प्रक्रियाओं (Standard Operating Procedure - SOP) की समीक्षा और सुधार हेतु एक अलग आपराधिक जनहित याचिका (Criminal PIL) दायर करने का निर्देश दिया।
जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आदेश में कहा,
"हम इस मत पर हैं कि उत्तर प्रदेश राज्य में अपराध स्थल जांच के लिए जो मानक संचालन प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए, उसके संदर्भ में, ताकि अभियोजन की प्रक्रिया बार-बार विफल न हो, एक अलग आपराधिक जनहित याचिका दाखिल की जानी चाहिए।"
खंडपीठ ने अपराधों की जांच और अभियोजन के दौरान आने वाली व्यावहारिक समस्याओं का स्वत: संज्ञान लेते हुए अत्यंत निम्न सफलता दर पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
यह आदेश अदालत ने 2004 की आपराधिक अपील की सुनवाई के दौरान पारित किया, जिसमें फॉरेंसिक जांच हेतु ब्लड सैंपल भेजने की प्रक्रिया पर कोर्ट ने सवाल उठाए।
खंडपीठ को जब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत नए प्रारूप की जानकारी दी गई, जिसमें रक्त समूह का उल्लेख किया गया तो कोर्ट ने महत्वपूर्ण प्रक्रिया संबंधी खामी इंगित की कि इसमें यह आवश्यक नहीं है कि घायल पीड़ित का ब्लड सैंपल एकत्र कर उसे हमले के हथियार पर पाए गए रक्त से मिलाया जाए।
इस वैज्ञानिक साक्ष्य संग्रहण में खामी को देखते हुए कोर्ट ने सरकारी वकील को निर्देश दिया कि वे संबंधित सभी अधिकारियों के साथ बैठक करें और उस बैठक में प्रस्तुत सुझावों को अदालत के समक्ष रखें।
बाद में 25 मई को राज्य सरकार के वकीलों द्वारा अपराध स्थल जांच के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) की एक फोटोकॉपी कोर्ट में प्रस्तुत की गई।
अब 8 जुलाई को पीठ को सूचित किया गया कि पुलिस मुख्यालय द्वारा अपराध की प्रभावी जांच के संबंध में कई कार्यालय ज्ञापन/परिपत्र जारी किए गए, जो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर आधारित हैं।
खंडपीठ को यह भी जानकारी दी गई कि अब एक विशेष वैन तैयार की गई, जो फॉरेंसिक किट्स से सुसज्जित है। एक प्रस्ताव है कि संविदा पर सहायक नियुक्त किए जाएं, जो अपराध स्थल पर पहुंचकर पीड़ित और आरोपी से संबंधित साक्ष्य/शरीर तरल, फिंगर प्रिंट आदि एकत्र करें।
खंडपीठ ने यह राय व्यक्त की कि अपराध स्थल जांच हेतु अपनाई जा रही SOP की समुचित समीक्षा आवश्यक है। इसलिए इस विषय पर एक स्वत: संज्ञान आपराधिक जनहित याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया गया।
यह मामला अब तीन सप्ताह बाद (29 जुलाई) को उपयुक्त खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।