सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, 'टोटलाइजर' प्रणाली को अपनाए जाने के लिए कानून में संशोधन करने में क्या रुकावट है ?

Update: 2018-03-05 09:51 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से पूछा कि चुनावों में मतों की गिनती के लिए 'टोटलाइजर' प्रणाली को अपनाए जाने के लिए कानून में संशोधन करने में क्या रुकावट है ?

वहीं केंद्र की ओर से पेश ASG मनिंदर सिंह ने दोहराया कि इसे लेकर सभी राजनीतिक दलों की बैठक हुई थी और सब इसका विरोध किया है। दलों का मानना है कि इससे चुनाव संबंधी डेटा प्राप्त करने में दिक्कत होगी।

वहीं चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि आयोग इस मामले में 20 साल से सुधार की बात कर रहा है और इस संबंध में केंद्र सरकार को सिफारिश भी भेजी गई है। इसके लिए कानून में संशोधन जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में चुनाव आयोग को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाइ दो हफ्ते बाद होगी।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने  चुनाव में बूथ वार मतगणना के स्थान पर एक साथ यानी कलस्टर गिनती की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने कहा, "संसद, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों में मतों की गिनती के लिए 'टोटलाइजर' प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए। यह मतदाताओं के बीच सुरक्षा की भावना पैदा करेगा और यदि किसी अन्य उम्मीदवार को सत्ता में आने की स्थिति में वे अपने उत्पीड़न के खिलाफ एक जांच के रूप में काम करेंगे। जब किसी विशेष मतदान बूथ पर मतदान पैटर्न की पहचान हो सकती है तो ये स्थानीय समस्याओं को जन्म देती है।  "

वहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के टोटलाइजर के विरोध के पक्ष को रखा था और बताया कि इस संबंध में 7 सितंबर, 2016 को मंत्रियों के एक समूह ने चर्चा की। सभी राष्ट्रीय राजनीतिक नेताओं के साथ साथ  भारतीय चुनाव आयोग ( ECI) से भी परामर्श किया गया। इसके आधार पर भारत सरकार टोटलाइजर के पक्ष में नहीं है।

हालांकि अटॉर्नी जनरल (एजी) के के वेणुगोपाल ने कहा था कि उनका इस मुद्दे पर एक अलग दृष्टिकोण है।

1961 के चुनाव नियमों के आचरण के नियम 59 ए से पहले चुनाव आयोग सभी बैलेट पेपर को मिला देता था। चुनाव आयोग की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने  संपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव परिणामों की घोषणा के लिए 'टोटलाइजर' प्रक्रिया का समर्थन करते हुए कहा था कि मतदाता की गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करने के लिए ये सुझाव दिया गया है।

मतदाताओं का मतदान पैटर्न को उजागर न करके, अगर उम्मीदवार जिसके लिए एक विशिष्ट इलाके के लिए मतदान नहीं हुआ है, उसके सत्ता में आने पर, उस इलाके के खिलाफ टकराव को रोका जा सकेगा। खासतौर से छोटे शहरों में इसका ज्यादा महत्व है। मतदाता की निजता और गोपनीयता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटा मामले विचार किया है।

बेंच ने ये साफ किया था कि वो सिर्फ टोटलाइजर के मुद्दे पर ही सुनवाई करेगी।

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