40 साल पुराना मामला : सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से मामले को एक साल में निपटाने को कहा, प्रतिवादी पर लगाया 50 हजार का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसी अपील आई है जो 40 साल पुराने मामले को लेकर है।
यह अपील राम निरंजन कजारिया ने दायर की है। यह मामला कोर्ट में 1978 में आया। वैसे इस बारे में प्रतिवादी शेओ प्रकाश कजारिया ने अगस्त 1979 में अपना जवाब दाखिल कर दिया था और इसमें संशोधन के लिए आवेदन 2004 में दायर किया। पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया।
हाई कोर्ट की इस कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट ने जायज ठहराया पर उसने प्रतिवादी को मूल लिखित बयान में दी गई बातों को स्पष्ट करने की अनुमति दी। पर प्रतिवादी ने वही बातें कहनी शुरू कर दी जो कि संशोधित बयान में कही गई थी।
याचिकाकर्ता ने अब कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने बयान स्पष्ट करने की जो स्वतंत्रता दी थी उसका प्रतिवादी ने दुरुपयोग किया है क्योंकि उसने वही सब कुछ उसमें डाल दिया है जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इस बारे में उसने एक चार्ट भी अपने आवेदन के साथ लगाया था।
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने अफ़सोस करते हुए कहा कि कैसे यह मामला विलंब का शिकार हो गया है। पीठ ने कहा, “वर्तमान अपील बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। वह पक्षकार धन्यवाद का पात्र है जो दो बार अदालत में आया है।”
इसके बाद पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता ने जो चार्ट पेश किया है उससे हम संतुष्ट हैं कि प्रतिवादी नंबर 1 ने उसको जो छूट दी गई उसका दुरूपयोग किया है और उसने वही सारी बातें अपने बयान में संशोधन के रूप में डाल दिया है...”।
कोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट से कहा कि वह इस मामले का हर दिन सुनवाई करके इस पर एक साल के अंदर फैसला सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने प्रतिवादी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया और उसे याचिकाकर्ता को यह राशि दो सप्ताह के भीतर देने को कहा।