डिसेबल्ड के लिए उच्चतर शिक्षा में पहुंच की व्यवस्था ना करने पर SC ने लगाई राज्यों को फटकार

Update: 2017-12-13 05:20 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू पर्सनस विद डिसएबलिटी एक्ट, 2016 और इससे पहले 1995 के मुताबिक डिसेबल्ड  के लिए उच्चतर शिक्षा संस्थानों के परिसर में उच्चतर शिक्षा, शारीरिक पर्यावरण के लिए गाइडलाइन बनाने और उनके लाने- ले जाने, सूचना एवं संचार तकनीक संबंधी इंतजामों का पालन ना करने पर राज्य सरकारों और UGC को कडी फटकार लगाई है।

बेंच ने पूछा है कि क्या कभी तय मानकों के तहत विश्वविद्यालयों में इन जरूरतों को पूरा किया गया है इसे लेकर कोई ऑडिट किया गया ? इन्हें लागू कराने के लिए क्या क्या कदम उठाए गए ? बेंच ने राज्य सरकारों से इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

आगे याचिकाकर्ता NGO डिसेबल राइट ग्रुप ने कोर्ट को बताया कि डिसेबल लोगों की पहुंच के लिए केंद्र सरकार को राइट टू पर्सनस विद डिसएबलिटी रूल्स 2017 के प्रभावी होने के 6 महीने के भीतर  मानक तय करने थे जिनमें हॉस्टल व कक्षाओं में संसाधन सुविधा और परीक्षा व टेस्ट प्रणाली में विशेष फार्मेट शामिल हैं। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के 9 दिसंबर 2010 के आदेश के मुताबिक  जनवरी 2011 तक उच्च शिक्षा में विभिन्न वर्गों की जरूरतों व समस्याओं के साथ डिसेबल की पहुंच और इसके हल संबंधी सुझाव दाखिल कर दिए थे। लेकिन केंद्र सरकार को राइट टू पर्सनस विद डिसएबलिटी एक्ट, 2016 की धारा 40 और रूल्स 2017 के नियम 15 को लेकर अभी भी पहुंच के लिए मानक तैयार करने हैं।

याचिकाकर्ता के सुझावों में सुनने व देखने में अक्षम लोगों के लिए लेखक व नोट लिखने वालों की कक्षाओं में व्यवस्था करने, भूतल पर ही हॉस्टल में कमरा आवंटित करने जिसके साथ सहायक हो। परिसर में बैरियर ना हों और व्हील चेयर की पहुंच हो, शामिल हैं।इसके अलावा शिक्षण सामग्री वैकल्पिक फार्मेट में उपलब्ध हो जैसे कि ब्रेल, टेप में और इंटरनेट पर किताब के साथ स्क्रीन रीडर्स के साथ कंप्यूटर तकनीक।

परीक्षा और टेस्ट के दौरान अक्षम लोगों के लिए अतिरिक्त वक्त और सही सॉफ्टवेयर के साथ कंप्यूटर पर परीक्षा की छूट आदि भी दिए गए हैं।

इसके अलावा डिसेबल छात्रों की विशेष जरूरतों के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्टॉफ और छात्रों के लिए ओरियंटेशन देने पर भी जोर दिया गया है।

याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार, राज्यों व UGC को 2016 के एक्ट की धारा 2(m) के तहत सामूहिक शिक्षा के उद्देश्य को पूरा करने के लिए कॉलेजों व विश्वविद्यालयों से अर्जी आमंत्रित करने के निर्देश देने की प्रार्थना भी की गई है।

Similar News