शैक्षणिक संस्थानों को हाईजेक करने और राजनीतिक लडाई का मैदान बनाने की इजाजत नहीं : केरल हाईकोर्ट [केरल हाईकोर्ट ]

Update: 2017-11-01 09:08 GMT

कैंपस राजनीति को लेकर दाखिल एक अवमानना याचिका पर  केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों को हाईजैक नहीं किया जा सकता और इन्हें राजनीतिक लडाई का मैदान बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

हाईकोर्ट चीफ जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह और जस्टिस राजा विजयराघवन की बेंच ने कुरियाकोसे इलियास कालेज के प्रिंसिपल की अवमानना याचिका पर फिर से ये टिप्पणी की। इससे पहले एक अन्य अवमानना याचिका पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए पहली बेंच ने कहा था कि राजनीतिक गतिविधियों जैसे धरना, भूख हडताल और सत्याग्रह आदि का संवैधानिक लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है और कम से कम शैक्षणिक संस्थानों में तो नहीं।

बेंच ने ये भी कहा कि धरना और हंगामे को नियंत्रित करने के लिए  वक्त पर दखल देने के लिए पुलिस हर तरह की सहायता देने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों में राजनीति नहीं हो सकती। अगर कोई छात्र निजी तौर पर राजनीति करना चाहता है तो वो इसके लिए स्वतंत्र है लेकिन शैक्षणिक संस्थान से बाहर। ये शिक्षा और सिखाने के संस्थान हैं।

दरअसल कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि कालेज में हंगामा करने वाले छात्र गिरफ्तार क्यों नहीं किए गए तो सरकारी वकील का कहना था कि वो उपलब्ध नहीं हैं और वो परीक्षा की तैयारी करने के लिए छुट्टी पर हैं।

इस जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि भले ही कोई जमानतीय अपराध भी हो तो पुलिस गिरफ्तारी के लिए आरोपी के खुद सरेंडर करने का इंतजार नहीं कर सकती। इसका भी पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है कि गिरफ्तारी के लिए पुलिस छात्रों के घर क्यों नहीं जा सकती जिससे उनके अभिभावकों को भी पता चले कि उनके बच्चे कालेज में छात्र के तौर पर क्या रहे हैं ?

हालांकि कोर्ट ने ये कहते हुए अवमानना याचिका को बंद कर दिया कि पुलिस की जिम्मेदारी है कि कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन ना हो और शैक्षणिक संस्थानों में पढाई बाधित ना हो।


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