मद्रास हाईकोर्ट ने पीडित/ गवाहों के बयान, आरोपी के इकबालिया बयान और शिनाख्त परेड के लिए गाइडलाइन जारी की [निर्णय पढ़ें]
मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम कदम उठाते हुए आपराधिक प्रक्रिया संहिता ( CrPC) के सेक्शन 164 के तहत बयान दर्ज करने की गाइडलाइन जारी की हैं। ये निर्देश चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस पीएन प्रकाश की विशेष डिविजन बेंच ने जारी किए हैं। ये बेंच जस्टिस प्रकाश के पास आए एक मामले के बाद बनाई गई जिसमें बोलने व सुनने में अक्षम व्यक्ति पर चार दूसरे लोगों का यौन उत्पीडन के मामले में जमानत की अर्जी आई। इसके साथ ही बेंच ने राज्य सरकार को छह महीने के भीतर सभी जेलों में शिनाख्त परेड के लिए विशेष कमरे बनाने के निर्देश भी जारी किए हैं। इन कमरों में शीशे को इस तरह लगाया जाएगा जिससे संदिग्ध या परेड वाले शख्स शिनाख्त परेड के दौरान गवाह को देख नहीं पाएंगे।
इस मुद्दे पर तमिलनाडू स्टेट ज्यूडिशियल एकादमी और तमिलनाडू पुलिस एकादमी को न्यायिक अफसरों व पुलिस अफसरों को संवेदनशील बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा गया है।
पीडित/ गवाह के बयान
- सेक्शन 164 Cr.P.C. के तहत सिर्फ जांच अधिकारी के कहने पर ही पीडित/ गवाह के बयान दर्ज किए जा सकेंगे
- 164 Cr.P.C. के तहत पीडित/ गवाह के बयान दर्ज करने के लिए जांच अधिकारी द्वारा CMM/ CJM से मजिस्ट्रेट नियुक्त करने के लिए संपर्क करने की जरूरत नहीं
- जांच अधिकारी के अनुरोध पर स्पेशल कोर्ट का अध्यक्ष जो ऐसे अपराध पर संज्ञान ले सकता हो, भी 164 Cr.P.C. के तहत पीडित/ गवाह के बयान दर्ज कर सकता है।
- 164 Cr.P.C. के तहत पीडित/ गवाह के बयान दर्ज करने के बाद जज/ मजिस्ट्रेट अपनी निगरानी में बयानों की दो फोटोकॉपी तैयार करेगा और प्रमाणित करेगा।
- इसकी एक फोटोकॉपी जांच अधिकारी को तुरंत निशुल्क दी जाएगी और ये शर्त होगी कि वो जांच के अलावा अन्य किसी कार्य में इस्तेमाल नहीं करेगा। ना ही इसे सावर्जनिक किया जाएगा जब तक कि जांच पूरी ना हो और फाइनल रिपोर्ट दाखिल ना हो।
- दूसरी कॉपी सील कवर में सुरक्षित तरीके से जज/ मजिस्ट्रेट अपने पास रखेंगे।
- 164 Cr.P.C. के तहत पीडित/ गवाह के बयान दर्ज करने वाला मजिस्ट्रेट अगर मामले के अधिकारक्षेत्र के तहत नहीं आता तो वो असली बयानों को विशेष संदेशवाहक या पंजीकृत डाक द्वारा अधिकारक्षेत्र वाली कोर्ट को भेजेगा।
- अगर 164 Cr.P.C. के तहत पीडित/ गवाह के बयान दर्ज करने वाला मजिस्ट्रेट ही मामले के अधिकारक्षेत्र के तहत है तो वो असली बयानों को को सील कवर में केस रिकार्ड में रखेगा।
आरोपी के इकबालिया बयान
- आरोपी के इकबालिया बयान दर्ज करने के लिए जांच अधिकारी CMM/CJM के पास अधिकारक्षेत्र वाले मजिस्ट्रेट के अलावा किसी अन्य मजिस्ट्रेट को नामांकित करने की अर्जी देगा।
- आरोपी के इकबालिया बयान दर्ज करने के बाद जज/ मजिस्ट्रेट अपनी निगरानी में बयानों की दो फोटोकॉपी तैयार करेगा और प्रमाणित करेगा।
- इकबालिया बयान दर्ज करने वाला मजिस्ट्रेट असली बयानों को सील कवर में विशेष संदेशवाहक या पंजीकृत डाक द्वारा अधिकारक्षेत्र वाली कोर्ट को भेजेगा।
- इकबालिया बयान की एक फोटोकॉपी जांच अधिकारी को तुरंत निशुल्क दी जाएगी और ये शर्त होगी कि वो जांच के अलावा अन्य किसी कार्य में इस्तेमाल नहीं करेगा। ना ही इसे सावर्जनिक किया जाएगा जब तक कि जांच पूरी ना हो और फाइनल रिपोर्ट दाखिल ना हो
- इकबालिया बयान दर्ज करने वाला मजिस्ट्रेट बयानों की दूसरी कॉपी को सील कवर में अपने पास रखेगा।
मृत्युपूर्व बयान
- मृत्युपूर्व बयान दर्ज करने के बाद मजिस्ट्रेट अपनी निगरानी में बयानों की दो फोटोकॉपी तैयार करेगा और प्रमाणित करेगा।
- बयान दर्ज करने वाला मजिस्ट्रेट असली बयानों को सील कवर में विशेष संदेशवाहक या पंजीकृत डाक द्वारा अधिकारक्षेत्र वाली कोर्ट को भेजेगा
- मृत्युपूर्व बयान की एक प्रमाणित फोटोकॉपी जांच अधिकारी को तुरंत निशुल्क दी जाएगी और ये शर्त होगी कि वो जांच के अलावा अन्य किसी कार्य में इस्तेमाल नहीं करेगा। ना ही इसे सावर्जनिक किया जाएगा जब तक कि जांच पूरी ना हो और फाइनल रिपोर्ट दाखिल ना हो।
- बयान दर्ज करने वाला मजिस्ट्रेट बयानों की दूसरी प्रमाणित कॉपी को सील कवर में अपने पास रखेगा
शिनाख्त परेड रिपोर्ट
- जांच अधिकारी द्वारा कोड के सेक्शन 54-A के तहत शिनाख्त परेड कराने के लिए अधिकारक्षेत्र वाली कोर्ट को अर्जी दी जाएगी।
- अर्जी के बाद कोर्ट गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को शिनाख्त कराने के लिए निर्देश दे सकता है।
- कोर्ट जिले के CMM/CJM को अधिकार क्षेत्र वाले मजिस्ट्रेट के अलावा शिनाख्त परेड कराने के लिए किसी अन्य मजिस्ट्रेट को नामांकित करने का अनुरोध करेगा।
- अनुरोध मिलने के बाद CMM/CJM तुरंत मजिस्ट्रेट को नामांकित करने के आदेश जारी करेंगे और इसकी सूचना नामांकित मजिस्ट्रेट और जांच अधिकारी को देंगे।
- शिनाख्त परेड कराने के बाद नामांकित मजिस्ट्रेट करने के बाद मजिस्ट्रेट अपनी निगरानी में शिनाख्त परेड रिपोर्ट की दो फोटोकॉपी तैयार करेगा और प्रमाणित करेगा।
- मजिस्ट्रेट असली शिनाख्त परेड रिपोर्ट की असल कॉपी को सील कवर में विशेष संदेशवाहक या पंजीकृत डाक द्वारा अधिकारक्षेत्र वाली कोर्ट को भेजेगा
- शिनाख्त परेड की एक प्रमाणित फोटोकॉपी जांच अधिकारी को तुरंत निशुल्क दी जाएगी और ये शर्त होगी कि वो जांच के अलावा अन्य किसी कार्य में इस्तेमाल नहीं करेगा। ना ही इसे सावर्जनिक किया जाएगा जब तक कि जांच पूरी ना हो और फाइनल रिपोर्ट दाखिल ना हो।
- मजिस्ट्रेट शिनाख्त परेड की दूसरी प्रमाणित कॉपी को सील कवर में अपने पास रखेगा।