उपभोक्ता मामलों के विवादों को जल्द निपटारा करने की जरूरत, नया मैकेनिज्म बने :सुप्रीम कोर्ट

Update: 2017-09-06 13:28 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि उपभोक्ता से जुडे मामलों के विवादों को जल्द निपटारा करने की जरूरत है। कोर्ट ने इसके लिए वैक्लपिक विवाद हल मैकेनिज्म बनाने के निर्देश भी जारी किए हैं।

उपभोक्ता को शीघ्र कानूनी उपचार की जरूरत बताते हुए जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने कहा है कि उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के सेक्शन 24B के तहत इल मुद्दे पर कदम उठाया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य आयोग पर नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रैसल कमिशन (NCDRC) के पास प्रशासनिक नियंत्रण है इसलिए यही संस्था एेसे मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए कदम उठाने के लिए उपयुक्त है। कोर्ट ने ये मैकेजिज्म बनाने के साथ साथ कहा है कि वो जहां जरूरत हो वहां विशेषज्ञ गवाह के लिए वीडियोकांफ्रेसिंग के जरिए गवाही पर भी विचार करे।

कोर्ट ने कोड ऑफ सिविल प्रॉसीजर के सेक्शन 89 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें कोर्ट के बाहर ही समझौता करने का प्रावधान है जो सिविल कोर्ट में ही लागू होता है। लेकिन इस प्रावधान को उपभोक्ता से जुडे मामलों में भी लागू किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि NCDRC और स्टेट कमिशन इस संबंध में नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी या राज्य लीगल सर्विस अथॉरिटी से भी संपर्क कर सकते हैं।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट NCDRC के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की मौत पर नर्सिंग होम के खिलाफ लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। इसमें कहा गया था कि नर्सिंग होम में आईसीयू नहीं था जबकि वहीं पर आपरेशन किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि जिस अस्पताल में आपरेशन हो रहा हो उसमें आईसीयू होना जरूरी है ताकि आपरेशन के बाद मरीज को कोई दिक्कत हो तो देखभाल हो सके।

सुप्रीम कोर्ट ने ये मानते हुए कि मामले को 23 साल बीत गए हैं, डाक्टर को पांच लाख रुपये महिला के परिजनों को देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि ये रुपये तीन महीने के भीतर स्टेट कमिशन के पास जमा कराए जाएं।

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