यूपीएससी चेयरमैन और मेंबर की नियुक्ति के लिए गाइडलाइंस बनाने के मसले की जांच करे केंद्र: दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह उस पहलू की जांच करे जिसमें कहा गया है कि यूपीएससी के चेयरमैन और सदस्य की नियुक्ति के लिए गाइडलाइंस होना चाहिए। हाई कोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सीएच शंकर की बेंच ने केंद्र सरकार से इस मामले में गाइडलाइंस बनाए जाने के पहलू की अावश्यकता को देखने के लिए कहा है।
इस मामले में याचिकाकर्ता सतीश कुमार सिंह ने दीपक गुप्ता को यूपीएससी चेयरमैन बनाए जाने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग के दिसंबर 2014 के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है। सिंह ने याचिका में कहा था कि दीपक गुप्ता पद के लिए योग्य नहीं थे। दूसरी तरफ केंद्र सरकार का कहना था कि अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि गुप्ता पद से सितंबर 2016 में रिटायर हो चुके हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका पर वह सुनवाई करेंगे क्योंकि याचिका में चेयरमैन और मेंबर की नियुक्ति के लिए गाइडलाइंस बनाए जाने को लेकर गुहार लगाई गई है। केंद्र सरकार ने वहीं दलील में कहा कि ये काम विधायिका का है और कोर्ट इस मामले में निर्देश नहीं दे सकती। वहीं कोर्ट ने कहा कि ये ठीक है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह से मामले में सवाल जवाब हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मेहर सिंह सैनी बनाम साहिल सभलोक से संबंधित वाद में व्यवस्था दी थी। ऐसे में प्रतिवादी इस मामले को सही तरह से लेगा और मामले को एग्जामिन करेगा।