आरटीआई एक्ट की धारा 20 के तहत दंड को चुनौति दे रहे पीआईओ सरकारी वकील का सहयोग नहीं लेंगे: तामिलनाडु सरकार

Update: 2017-07-13 04:14 GMT

तामिलनाडु सरकार ने पब्लिक इन्फॉरमेशन ऑफिसरों (पीआईओ) से कहा है कि वह उन मामले में सरकारी वकील को अपने बचाव में पेश न करवाएं जिन मामलों में आरटीआई एक्ट की धारा-20 के तहत तामिलनाडु स्टेट इन्फॉरमेशन कमिशन ने सजा दी हो। यानी कमिशन के आदेश को चुनौती देने के लिए पीआईओ सरकारी वकील का सहयोग नहीं ले पाएंगे।




आरटीआई की धारा-20 के तहत सीआईसी और एसआईसी को पावर है कि वह पीआईओ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई या फिर जुर्माने की सजा सुनाए। ये सजा तब दी जाती है जब पीआईओ जानकारी देने से मना करता है।

तामिलनाडु सरकार के सेक्रेटरी द्वारा जारी लेटर में कहा गया है कि कमिशन ये मानता है कि ये सही नहीं होगा कि उन मामलों में सरकारी वकील का सहयोग लिया जाए जिन मामलों में तामिलनाडु स्टेट इन्फॉरमेशन कमिशन ने पीआईओ को सजा दी हो और कमिशन के आदेश को चुनौती देने के लिए सरकारी वकील को रखा जाए। इसके लिए तमिलनाडु स्टेट इन्फॉरमेशन कमिशन ने सरकार को लेटर लिखा है। तमिलनाडु सरकार के सेक्रेटरी ने तमिलनाडु स्टेट इन्फॉरमेशन कमिशन के सेक्रेटरी के लेटर को देखा और फिर निर्देश दिया है कि पीआईओ जिन मामलों में आरटीआई एक्ट की धारा-20 के तहत सजा पा चुके हों उन मामलों में कमिशन के आदेश के खिलाफ केस दाखिल करने के लिए सरकारी वकील की मदद न ली जाए। कमिशन के आदेश के खिलाफ खुद के बचाव के लिए पीआईओ सरकारी वकील का सहयोग नहीं लेंगे।


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