उत्तर प्रदेश जल आपूर्ति एवं सीवरेज अधिनियम की धारा 54 के अंतर्गत अपील के लिए विहित प्राधिकारी कौन है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य से पूछा
Shahadat
2 Oct 2025 4:16 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य से यह स्पष्ट करने को कहा कि उत्तर प्रदेश जल आपूर्ति एवं सीवरेज अधिनियम, 1975 की धारा 54 के अंतर्गत जय संस्थान या किसी अन्य एजेंसी द्वारा अधिनियम की धारा 53 की उप-धारा (2) के अंतर्गत पारित मूल्यांकन आदेश के विरुद्ध अपील का निर्णय करने हेतु विहित प्राधिकारी कौन है?
याचिकाकर्ता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट डिवीजन, चकेरी, कानपुर, अत्याधुनिक विमानों और अन्य रक्षा उपकरणों एवं सेवाओं के निर्माण, मरम्मत और ओवरहालिंग में लगा हुआ है। भारत में रक्षा सेवाओं को सेवाएं प्रदान करता है तथा रक्षा मंत्रालय द्वारा नियंत्रित और उसके अधीन कार्य करता है।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि यद्यपि उसने क्षेत्र में एक आवासीय टाउनशिप विकसित की। फिर भी वह कानपुर नगर निगम, कानपुर या जल कार्य विभाग/कानपुर जल संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली किसी भी सुविधा का लाभ नहीं उठाता। इसलिए वह किसी भी सीवेज शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
कई दौर की मुकदमेबाजी के बाद याचिकाकर्ता और कानपुर नगर निगम ने संपत्ति कर संबंधी अपने विवाद का निपटारा न्यायालय के बाहर कर लिया। वर्ष 2023 में जल विभाग ने सीवेज शुल्क के रूप में 2,09,81,881/- रुपये की मांग की। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने जल विभाग को याचिकाकर्ता की आपत्तियों पर विचार करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं, लेकिन उन पर विचार किए बिना ही मूल्यांकन आदेश पारित कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने अधिनियम की धारा 54 के तहत कानपुर नगर निगम, जल विभाग और जलकल विभाग के समक्ष अपील दायर की। हालांकि, किसी भी प्राधिकारी ने अपील स्वीकार नहीं की। प्राधिकारी यह नहीं बता सके कि अधिनियम के तहत ऐसी अपीलों पर विचार करने के लिए विहित प्राधिकारी कौन है?
जल विभाग के महाप्रबंधक ने अपील को सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया, बिना कोई कारण बताए कि यह विचारणीय क्यों नहीं है। तदनुसार, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और विहित प्राधिकारी द्वारा आदेश और अपील पर निर्णय रद्द करने की मांग की।
चूंकि कोई भी प्राधिकारी याचिकाकर्ता द्वारा दायर अपील स्वीकार नहीं कर रहा है, जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने कहा,
"हमारा विचार है कि सुविधा और असुविधा का संतुलन याचिकाकर्ता के पक्ष में है। प्रथम दृष्टया मामला याचिकाकर्ता के पक्ष में बनता है। तदनुसार, प्राधिकारियों द्वारा उठाई गई मांग को सीमित अवधि के लिए, अर्थात् अगली सुनवाई तक के लिए स्थगित किया जाता है।"
यह मामला अगली बार 14 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया गया, जिस दिन प्रतिवादियों को न्यायालय को यह सूचित करना होगा कि उत्तर प्रदेश जल आपूर्ति एवं सीवरेज अधिनियम, 1975 की धारा 54 के तहत विहित प्राधिकारी कौन है।
Case Title: Hindustan Aeronautics Limited Transport Aircraft Division Chakeri v. State Of U.P. And 3 Others

