यूपी में प्रिंसिपल और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी, कहा- स्टूडेंट्स को हो रही परेशानी
Shahadat
3 Feb 2025 9:20 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में यह सर्वविदित तथ्य है कि प्रिंसिपल और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं।
जस्टिस प्रकाश पाडिया की पीठ ने जूनियर हाई स्कूल द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने स्वीकृत पदों के अनुसार शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति न किए जाने से व्यथित होकर हाईकोर्ट का रुख किया।
याचिका के अनुसार, स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त हैं।
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। दरअसल, पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों की नियुक्ति की समयसीमा को लेकर अस्पष्टता की ओर इशारा किया था।
10 दिसंबर, 2024 को न्यायालय ने विशेष रूप से टिप्पणी की थी कि बड़ी संख्या में रिक्तियों के कारण राज्य की शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है और इस मुद्दे को हल करने में कोई प्रगति नहीं हुई। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा महानिदेशक विद्यालय शिक्षा, उत्तर प्रदेश को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव का अनुरोध करते हुए पत्र भेजे जाने के बावजूद आज तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया।
इसका संज्ञान लेते हुए एकल जज ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के विद्यालय शिक्षा महानिदेशक को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में दस दिनों के भीतर अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा,
“यह पूरे उत्तर प्रदेश में सर्वविदित तथ्य है कि प्रधानाध्यापकों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं। जहां तक वर्तमान मामले का संबंध है, यह स्पष्ट है कि संस्थान द्वारा बार-बार किए गए अनुरोध के बावजूद आज तक अधिकारियों द्वारा प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के पदों को भरने के लिए आवश्यक आदेश पारित नहीं किए गए। शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। ऊपर वर्णित तथ्यों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी भारत के संविधान के तहत नागरिकों को गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।"
अदालत ने टिप्पणी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को तय की।
केस टाइटल- सी/एम कृषि औद्योगिक विद्यालय आऊ और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य