UP Police ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ उनकी 'X पोस्ट' को लेकर भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने का मामला दर्ज किया, इलाहाबाद हाईकोर्ट में बताया

Shahadat

28 Nov 2024 9:37 AM IST

  • UP Police ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ उनकी X पोस्ट को लेकर भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने का मामला दर्ज किया, इलाहाबाद हाईकोर्ट में बताया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट को बताया गया कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध बनाती है, उनको गाजियाबाद पुलिस द्वारा पिछले महीने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में जोड़ दिया गया।

    यह FIR यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर दर्ज की गई, जिसमें दावा किया गया कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की एक वीडियो क्लिप पोस्ट की, जिसका उद्देश्य मुसलमानों द्वारा उनके खिलाफ हिंसा भड़काना था।

    जुबैर ने FIR चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया।

    25 नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आईओ को अगली सुनवाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया हो कि जुबैर के खिलाफ कौन सी आपराधिक धाराएं लगाई गईं।

    न्यायालय में जवाब दाखिल करते हुए जांच अधिकारी ने कहा कि FIR में दो नई धाराएं जोड़ी गई: धारा 152 BNS और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66।

    बता दें कि जुबैर के खिलाफ प्राथमिकी शुरू में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196, 228, 299, 356 (3) और 351 (2) के तहत दर्ज की गई।

    जुबैर ने याचिका रद्द करने और बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग के लिए हाईकोर्ट का रुख किया। अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि उनके एक्स पोस्ट में यति के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया। उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सचेत किया और कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की। यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने के बराबर नहीं हो सकता।

    उन्होंने BNS के तहत मानहानि प्रावधान के आह्वान को भी इस आधार पर चुनौती दी कि नरसिंहानंद के खिलाफ उनके खुद के वीडियो, जो पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में हैं, को साझा करके कार्रवाई की मांग करना मानहानि नहीं हो सकती है।

    याचिका में यह भी कहा गया कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के समय नरसिंहानंद अन्य अभद्र भाषा मामले में जमानत पर थे, जहां उनकी जमानत की शर्त यह थी कि वह सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने वाले कोई भी बयान नहीं देंगे।

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