असफल निविदाकर्ता अंतिम चरण में निविदा शर्तों को चुनौती नहीं दे सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

10 Oct 2025 7:31 PM IST

  • असफल निविदाकर्ता अंतिम चरण में निविदा शर्तों को चुनौती नहीं दे सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने हाल ही में कहा कि किसी निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले और बाद में असफल घोषित किए गए पक्ष को बाद के चरण में विशेष रूप से प्रक्रिया के काफी आगे बढ़ जाने के बाद निविदा शर्तों को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

    जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने अवनि परिधि एनर्जी एंड कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर रिट याचिका खारिज की, जिसमें तकनीकी मूल्यांकन और संपूर्ण निविदा प्रक्रिया को चुनौती देते हुए आरोप लगाया गया कि इसने एक सरकारी आदेश का उल्लंघन किया।

    शुरुआत में प्रतिवादियों द्वारा याचिका की स्वीकार्यता के संबंध में प्रारंभिक आपत्ति उठाई गई, क्योंकि यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता ने संपूर्ण निविदा प्रक्रिया में भाग लिया था। तदनुसार, उसे रिट याचिका के माध्यम से इसे चुनौती देने से रोक दिया गया।

    इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के 2023 के नंदौर हल्द्वानी उज्ज्वल धर्म कांटा ओनर्स सोसाइटी बनाम उत्तराखंड वन विकास निगम व अन्य मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए दलील दी कि अगर याचिकाकर्ता ने विरोध किया। उसके बाद भाग लिया तो उसे रिट याचिका दायर करने से नहीं रोका जा सकता।

    खंडपीठ ने कहा कि हालांकि एक पत्र में कुछ विरोध जताया गया था। हालांकि, प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए वकील ने ऐसे पत्र की प्राप्ति से स्पष्ट रूप से इनकार किया था।

    इसके मद्देनजर, अदालत ने याचिकाकर्ता के इस तर्क पर विचार करने से इनकार किया कि उन्होंने विरोध करने के बाद निविदा प्रक्रिया में भाग लिया था। कहा कि यह निराधार है। इस प्रकार, कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि उत्तराखंड हाईकोर्ट का फैसला याचिकाकर्ता के लिए मददगार नहीं होगा।

    इसके अलावा, खंडपीठ ने टाटा मोटर्स लिमिटेड बनाम बृहन मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (बेस्ट) एवं अन्य 2023 लाइव लॉ (एससी) 467 मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि रिट कोर्ट को वाणिज्यिक मामलों में खासकर सरकार द्वारा जारी निविदाओं के संबंध में हस्तक्षेप करने में संकोच करना चाहिए।

    कोर्ट ने कहा,

    "...रिट कोर्ट को सामान्यतः नियोक्ता के इस निर्णय पर अपना निर्णय थोपने से बचना चाहिए कि किसी निविदाकर्ता की बोली स्वीकार की जाए या नहीं, जब तक कि कोई बहुत गंभीर या स्पष्ट बात सामने न आए..."।

    इस पृष्ठभूमि में खंडपीठ ने आगे कहा कि निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले व्यक्ति को निविदा की अंतिम अवस्था में उक्त निविदा शर्तों को चुनौती देने से प्रतिबंधित किया जाता है, जब यह स्पष्ट हो जाता है कि वह व्यक्ति असफल रहा है।

    कोर्ट ने कहा,

    "निविदा शर्तों को चुनौती देने वाला व्यक्ति स्वयं ही प्रथम दृष्टया ऐसा कोई भी तर्क प्रस्तुत कर सकता है। असफल निविदाकर्ता यह तर्क नहीं दे सकता कि निविदा शर्तें किसी भी तरह से गैरकानूनी हैं, जिससे अंतिम समय में निर्णय को पलटा जा सके।"

    तदनुसार, रिट याचिका खारिज कर दी गई।

    Case title - Avani Paridhi Energy And Communications Pvt.Ltd.Thru. Authorized Signatory Shri Aditya Yadav vs. State Of U.P. Thru. Prin. Secy. Deptt. Of Environment Forest/Climate Change Lko. And 3 Others

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