इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईपीसी, सीआरपीसी और अन्य आपराधिक कानूनों की वैधता के खिलाफ दायर याचिका का निपटारा किया, कहा-नए कानून अधिनियमित, याचिकाकर्ता उन्हें देखे
LiveLaw News Network
12 Aug 2024 9:05 AM GMT
![इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईपीसी, सीआरपीसी और अन्य आपराधिक कानूनों की वैधता के खिलाफ दायर याचिका का निपटारा किया, कहा-नए कानून अधिनियमित, याचिकाकर्ता उन्हें देखे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईपीसी, सीआरपीसी और अन्य आपराधिक कानूनों की वैधता के खिलाफ दायर याचिका का निपटारा किया, कहा-नए कानून अधिनियमित, याचिकाकर्ता उन्हें देखे](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2024/07/20/750x450_550778-crpc-bnss.webp)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक जनहित याचिका का निपटारा किया, जिसमें याचिकाकर्ता ने यह घोषित करने की मांग की थी कि भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 और अन्य आपराधिक कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 13 और 21 का उल्लंघन करते हैं। याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर तर्क दिया कि कानून गैर-सुधारात्मक और अधिक दंड उन्मुख थे।
चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बधवार की पीठ ने कहा कि चूंकि पुराने अधिनियमों को नए आपराधिक कानूनों, यानी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, इसलिए याचिकाकर्ता यदि कोई शिकायत है तो उन्हें चुनौती दे सकता है।
कोर्ट ने कहा, "कानून में उक्त संशोधन और नए कानून के आने के मद्देनजर, याचिकाकर्ता इसे देख सकता है और यदि उसकी शिकायत अभी भी बनी हुई है, तो वह कानून के अनुसार उचित कदम उठा सकता है।"
तदनुसार, जनहित याचिका का निपटारा कर दिया गया।
केस टाइटल: सूरज पाल सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य [आपराधिक रिट-जनहित याचिका संख्या - 4/2024]