अनादि काल से मान्यता प्राप्त और सांस्कृतिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाले अनुष्ठानों को तुच्छ आधार पर बाधित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Shahadat
19 July 2025 5:11 PM

बहराइच दरगाह में जेठ मेले के लिए जिलाधिकारी द्वारा अनुमति देने से इनकार करने को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं का निपटारा करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य द्वारा लंबे समय से चली आ रही अनुष्ठानिक प्रथाओं को बाधित करने की सीमाओं के संबंध में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की।
न्यायालय ने कहा कि ऐसी प्रथाएं, जिन्हें अनादि काल से मान्यता प्राप्त है, राज्य द्वारा 'तुच्छ' आधार पर बाधित नहीं की जा सकतीं, खासकर जब वे समाज में 'सांस्कृतिक सद्भाव' को बढ़ावा देती हों।
न्यायालय ने आगे कहा कि कभी-कभी ऐसी प्रथाओं और रीति-रिवाजों का पालन तर्क के अनुकूल नहीं होता। साथ ही ऐसी सभी प्रथाओं को "बाधित नहीं किया जा सकता", खासकर उन प्रथाओं को जो आम जनता के बीच अनुष्ठानिक मॉडल का रूप धारण कर लेती हैं और समाज में सद्भाव और शांति लाती हैं।
जस्टिस अत्ताउ रहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अनुष्ठान और प्रथाएं अक्सर तर्क या वैज्ञानिक तर्क से परे होती हैं। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित हैं।
खंडपीठ ने कहा,
"अनुष्ठान और प्रथाएं कोई सीमा नहीं जानतीं और कभी-कभी वे किसी विशेष धर्मस्थल या धार्मिक स्थल पर आस्था की पराकाष्ठा तक पहुंच जाती हैं... वे धर्मस्थलों या धार्मिक स्थलों पर किए जाने वाले कर्मकांडों और प्रथाओं से प्रेरित होते हैं, जिन्हें भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित अंतरात्मा के आध्यात्मिक स्रोत के रूप में माना और अनुभव किया जाता है, जो समग्र संवैधानिक नैतिकता को बढ़ावा देता है।"
इसी पृष्ठभूमि में खंडपीठ ने ऐसे अनुष्ठानों में न्यायिक हस्तक्षेप के प्रति आगाह किया, जब तक कि वे सार्वजनिक व्यवस्था या राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा न करें।
खंडपीठ ने इस प्रकार टिप्पणी की:
"संवैधानिक न्यायालयों को तर्क या विज्ञान के विपरीत ऐसे अनुष्ठानों की औचित्यता पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए, सिवाय इसके कि अनुष्ठानों और प्रथाओं से सार्वजनिक व्यवस्था या राज्य की सुरक्षा को खतरा नहीं होना चाहिए।"
खंडपीठ ने दरगाह शरीफ की प्रबंधन समिति द्वारा दायर रिट सहित अन्य याचिकाओं का निपटारा करते हुए ये टिप्पणियां कीं। पीठ ने कहा कि मेले के आयोजन की अनुमति देने से इनकार करने वाले डीएम के आदेश ने "अपना प्रभाव खो दिया" है, क्योंकि मेले की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है। न्यायालय द्वारा दी गई अंतरिम व्यवस्था ने बिना किसी घटना के अनुष्ठानों का पालन सुनिश्चित किया था।
उल्लेखनीय है कि 17 मई को हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से (तत्काल के लिए) इनकार करते हुए याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हालांकि, न्यायालय ने एक अंतरिम उपाय के रूप में दरगाह शरीफ में अनुष्ठानों के लिए नियमित गतिविधियों की अनुमति दी थी।
अंतरिम व्यवस्था के तहत अनुष्ठानों के शांतिपूर्ण संचालन का उल्लेख करते हुए न्यायालय ने कहा कि इसके परिणाम "श्रद्धालुओं के लिए सर्वोत्तम" रहे हैं। "राज्य द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं का संरक्षण" हुआ है।
Case title - Waqf No.19 Dahgah Sahrif Thru. C/M Of Dargah Sharif Bahraich By Chairman Baqaullah And 5 Others vs. State Of U.P. Thru .Addl. Chief Secy. Deptt. Home Lko. And Another 2025 LiveLaw (AB) 257