POCSO Act का उद्देश्य सहमति से बनाए गए रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Shahadat
8 May 2025 10:07 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया POCSO Act अब उनके शोषण का साधन बन गया है।
इस बात पर जोर देते हुए कि अधिनियम का उद्देश्य किशोरों के बीच सहमति से बनाए गए रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना नहीं है, जस्टिस कृष्ण पहल की पीठ ने कहा कि जमानत देते समय प्रेम से उत्पन्न सहमति से बने संबंधों के तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए।
एकल जज ने कहा कि यदि पीड़िता के बयान को नजरअंदाज किया जाता है और आरोपी को जेल में पीड़ा भोगने के लिए छोड़ दिया जाता है तो यह न्याय के साथ अन्याय होगा।
पीठ ने ये टिप्पणियां 18 वर्षीय लड़के को जमानत देते हुए कीं। इस लड़के पर 16 वर्षीय लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार करने के आरोप में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 137(2), 87, 65(1) और POCSO Act की धारा 3/4(2) के तहत मामला दर्ज किया गया।
इस वर्ष मार्च में गिरफ्तार किए गए आरोपी के वकील ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि यह सहमति से संबंध बनाने का मामला है और घटना की कोई मेडिकल पुष्टि नहीं है।
यह भी दलील दी गई कि आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा।
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों और FIR दर्ज करने में पंद्रह दिनों की अत्यधिक देरी और घटना की कोई मेडिकल पुष्टि नहीं होने को ध्यान में रखते हुए पीठ ने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना उसे जमानत दी।
केस टाइटल- राज सोनकर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य 2025 लाइव लॉ (एबी) 165

