राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर समयसीमा निर्दिष्ट करने के लिए कोई निर्देश नहीं: केंद्र ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा

Shahadat

8 May 2025 4:32 AM

  • राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर समयसीमा निर्दिष्ट करने के लिए कोई निर्देश नहीं: केंद्र ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा

    केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया कि कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से संबंधित नागरिकता के मुद्दे को तार्किक निष्कर्ष पर लाने के लिए कोई समयसीमा निर्दिष्ट नहीं की जा सकती।

    डिप्टी सॉलिसिटर जनरल और सीनियर एडवोकेट एसबी पांडे ने जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस राजीव सिंह की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उन्हें ऐसी कोई समयसीमा निर्धारित करने के लिए कोई निर्देश नहीं मिले हैं।

    इस प्रस्तुति को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने कर्नाटक के भारतीय जनता पार्टी (BJP) सदस्य एस. विग्नेश शिशिर द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) का निपटारा कर दिया, जिसमें गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाया गया था।

    खंडपीठ ने यह भी कहा कि गांधी की नागरिकता के मुद्दे के संबंध में याचिकाकर्ता ने रिकॉर्ड पर कोई ठोस सामग्री नहीं लाई, जो उसके प्रथम दृष्टया मूल्य पर गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराए।

    खंडपीठ ने कहा,

    "याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय के आधार पर अपनी दलीलों को पुष्ट नहीं किया, जिसके अनुसार संसदीय कार्यवाही में प्रतिवादी नंबर 1 की भागीदारी बाधित है। हम इस तथ्य पर भी ध्यान देते हैं कि रिट याचिका में मांगी गई शेष राहत के अनुदान के लिए केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत अभ्यावेदन भी फलदायी नहीं हुआ।"

    उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता (विग्नेश) ने गांधी का चुनावी प्रमाण पत्र रद्द करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC), उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी और रायबरेली के रिटर्निंग अधिकारी को निर्देश देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था। अपनी याचिका में उन्होंने अपनी कथित ब्रिटिश नागरिकता की CBI जांच की भी मांग की। उन्होंने गृह मंत्रालय के विदेशी प्रभाग को विस्तृत अभ्यावेदन-सह-शिकायत भी दी, जिसमें गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने का अनुरोध किया गया था। यह अभ्यावेदन अधिनियम 1955 की धारा 9 (2) के नियमों और विनियमों के अनुसार नागरिकता नियम 2009 के नियम 40 (2) और 2009 नियमों की अनुसूची III के अनुसार प्रस्तुत किया गया।

    संदर्भ के लिए, 2009 नियमों की धारा 40 केंद्र सरकार के उस अधिकार से संबंधित है, जिसके तहत वह यह निर्धारित कर सकता है कि भारत के किसी नागरिक ने किसी अन्य देश की नागरिकता कब, कैसे या कब प्राप्त की है।

    विग्नेश ने इसी तरह की जनहित याचिका (उसी याचिकाकर्ता द्वारा दायर) खारिज किए जाने के बाद यह अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था, जिसे पहले वापस ले लिया गया था। इसमें याचिकाकर्ता को नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9 (2) के तहत सक्षम प्राधिकारी से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी गई थी, जहां तक ​​कानून में इसकी अनुमति है।

    उनकी जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तृत जांच की, कई 'नए इनपुट' प्राप्त किए और गांधी के नागरिकता रिकॉर्ड के बारे में विवरण मांगने के लिए यूके सरकार को ईमेल भेजे।

    इस प्रक्रिया में याचिका में आगे कहा गया कि उन्हें पता चला कि यू.के. सरकार को पहले ही वी.एस.एस. सरमा (प्रतिवादी नंबर 14) से 2022 में विवरण मांगने का अनुरोध प्राप्त हो चुका है। उसके बाद उन्होंने (PIL याचिकाकर्ता-विग्नेश) सरमा से संपर्क किया, जो यू.के. सरकार से प्राप्त 'गोपनीय' ईमेल साझा करने के लिए सहमत हुए।

    PIL याचिका में आरोप लगाया गया कि उन 'गोपनीय' ईमेल (2022 के) में यू.के. सरकार ने संकेत दिया कि उसके पास राहुल गांधी की ब्रिटिश राष्ट्रीयता के रिकॉर्ड हैं।

    केस टाइटल - एस. विग्नेश शिशिर बनाम श्री राहुल गांधी और 13 अन्य 2025 लाइवलॉ (एबी) 162

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