मुख्य व्यावसायिक स्थल पर गतिविधि न होने का मतलब यह नहीं कि करदाता को जारी किए गए चालान फर्जी हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

14 July 2025 5:55 AM

  • मुख्य व्यावसायिक स्थल पर गतिविधि न होने का मतलब यह नहीं कि करदाता को जारी किए गए चालान फर्जी हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि करदाता के मुख्य व्यावसायिक स्थल पर कोई गतिविधि नहीं थी, यह नहीं माना जा सकता कि ऐसे करदाता के पक्ष में जारी किए गए चालान फर्जी हैं।

    याचिकाकर्ता ने CGST Act की धारा 129(3) का तहत दंड आदेश रद्द करने और सहायक आयुक्त, वाणिज्यिक कर मोबाइल यूनिट, खतौल, मुजफ्फरनगर द्वारा धारा 129(1)(ए) के तहत जब्त किए गए माल को वापस लेने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्राधिकारी ने यह मानकर धारा 129(1)(बी) के तहत जुर्माना लगाया कि याचिकाकर्ता माल का मालिक नहीं है। यह अनुमान दो आधारों पर आधारित था: पहला, याचिकाकर्ता ने केवल रजिस्टर्ड ईमेल के माध्यम से उत्तर दिया था। दूसरा, निरीक्षण करने पर याचिकाकर्ता के मुख्य व्यावसायिक स्थल पर कोई गतिविधि नहीं पाई गई।

    न्यायालय ने कहा कि केवल इसलिए कि समन जारी होने के बावजूद वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुआ, रजिस्टर्ड ईमेल के माध्यम से जवाब देने के बावजूद याचिकाकर्ता को जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता।

    दूसरे मुद्दे के संबंध में जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने कहा,

    “याचिकाकर्ता के मुख्य व्यावसायिक स्थल पर किसी भी गतिविधि का न होना ही यह अनुमान नहीं लगा सकता कि याचिकाकर्ता को जारी किया गया चालान फर्जी था। याचिकाकर्ता माल का मालिक नहीं है।”

    31 दिसंबर, 2018 के सर्कुलर नंबर 76/50/2018-जीएसटी के क्लॉज नंबर 6 में माल के स्वामी का वर्णन इस प्रकार किया गया,

    "यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि माल की खेप के साथ चालान या कोई अन्य निर्दिष्ट दस्तावेज़ संलग्न है तो या तो प्रेषक या प्राप्तकर्ता को ही माल का स्वामी माना जाएगा। यदि माल की खेप के साथ चालान या कोई अन्य निर्दिष्ट दस्तावेज़ संलग्न नहीं है तो ऐसे मामलों में सक्षम अधिकारी को यह निर्धारित करना चाहिए कि माल का स्वामी किसे घोषित किया जाना चाहिए।"

    मैसर्स हलदर एंटरप्राइजेज बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस सर्कुलर पर भरोसा करते हुए यह निर्णय दिया कि कोई भी व्यक्ति जो कर चालान, ई-वे बिल और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज़ों के साथ आगे आता है, उसे माल का स्वामी माना जाएगा।

    मालिक को माल जारी करने से संबंधित 31 दिसंबर, 2018 के सर्कुलर नंबर 76/50/2018-जीएसटी में क्लॉज नंबर 6 और उपरोक्त निर्णय पर भरोसा करते हुए न्यायालय ने माना कि याचिकाकर्ता माल का माना हुआ मालिक है।

    Case Title: S.S. Enterprises v. State of U.P. and Another [WRIT TAX No. - 3026 of 2025]

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