विवाह रद्द होने तक अधिकार बनाए रखते हुए पत्नी को भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Amir Ahmad

29 Sept 2025 2:57 PM IST

  • विवाह रद्द होने तक अधिकार बनाए रखते हुए पत्नी को भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पत्नी का भरण-पोषण पाने का अधिकार केवल इसलिए नहीं छीना जा सकता कि विवाह रद्द किया जा सकता है, जब तक कि कोर्ट के समक्ष विवाह रद्द करने का कोई आदेश प्रस्तुत न किया गया हो।

    जस्टिस राजीव लोचन शुक्ला ने कहा,

    “जब तक एक शून्य योग्य विवाह को किसी आदेश के माध्यम से रद्द नहीं किया जाता पत्नी की कानूनी स्थिति पति की विधिवत पत्नी के रूप में बनी रहती है और इससे उत्पन्न सभी अधिकार भी जारी रहते हैं।”

    मामले में पत्नी ने फॅमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसमें उसे CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण नहीं देने का निर्णय दिया गया था। फैमिली कोर्ट ने माना कि वह पति से अलग रह रही थी, क्योंकि पति ने अपनी पिछली शादी और तलाक का तथ्य छुपाया था।

    फैमिली कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12 (शून्य योग्य विवाह) का हवाला देते हुए कहा कि पत्नी धोखे के आधार पर विवाह रद्द करने के लिए आदेश प्राप्त कर सकती है। इसलिए उसे भरण-पोषण का हक नहीं है।

    हालांकि हाईकोर्ट ने कहा कि केवल यह तथ्य कि पिछली शादी और तलाक छुपाया गया, यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं कि पत्नी अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही थी।

    जस्टिस शुक्ला ने यह भी कहा कि केवल इस आधार पर कि विवाह रद्द किया जा सकता है भरण-पोषण को अस्वीकार करना अवैध और अनुचित है।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी पक्ष विवाह को शून्य घोषित करने के लिए कोर्ट में आवेदन नहीं किया। ऐसे में पत्नी की कानूनी स्थिति पति की पत्नी के रूप में बनी रहती है और रखरखाव का हक बनता है।

    अंततः हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया और मामले को ताजा आदेश पारित करने के लिए फैमिली कोर्ट को लौटाया।

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