Janmabhoomi Dispute | हाईकोर्ट ने भगवान कृष्ण के परम मित्र को भक्तों की ओर से 'प्रतिनिधि वाद' के रूप में आगे बढ़ने की अनुमति दी

Shahadat

19 July 2025 5:00 PM

  • Janmabhoomi Dispute | हाईकोर्ट ने भगवान कृष्ण के परम मित्र को भक्तों की ओर से प्रतिनिधि वाद के रूप में आगे बढ़ने की अनुमति दी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में भगवान श्री कृष्ण (अगले मित्र के माध्यम से) और अन्य की ओर से कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले के वाद संख्या 17 में भगवान कृष्ण के भक्तों की ओर से और उनके लाभ के लिए प्रतिनिधि क्षमता में मुकदमा दायर करने हेतु दायर आवेदन को अनुमति दी।

    जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ द्वारा पारित आदेश के कार्यकारी भाग में लिखा,

    "वादी को भगवान श्री कृष्ण के उन भक्तों की ओर से और उनके लाभ के लिए, जो इस वाद में रुचि रखते हों, प्रतिवादी नंबर 1 से 6 और भारत के संपूर्ण मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध प्रतिनिधि क्षमता में मुकदमा दायर करने की अनुमति है।"

    न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वादी को मुस्लिम समुदाय की ओर से मुकदमा दायर करने की अनुमति नहीं है। न्यायालय द्वारा दी गई प्रतिनिधि क्षमता केवल भगवान कृष्ण के भक्तों के पक्ष में है।

    इसने आगे निर्देश दिया कि सीपीसी के आदेश 1 नियम 8(1)(ए) के तहत नोटिस वादी के खर्चे पर सभी इच्छुक व्यक्तियों को 15 दिनों के भीतर राष्ट्रीय समाचार पत्र में जारी किया जाए। न्यायालय ने वादी को आवश्यकता पड़ने पर वाद में परिणामी संशोधनों के लिए एक अलग आवेदन प्रस्तुत करने की भी अनुमति दी।

    संक्षेप में मामला

    वाद 17 भगवान श्री कृष्ण (वादी संख्या 1), अस्थान श्री कृष्ण जन्मभूमि (वादी संख्या 2) और अन्य भक्तों (वादी संख्या 3 से 5) द्वारा दायर किया गया।

    वादीगण का आरोप है कि विवादित संपत्ति भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है और अनादि काल से इस रूप में पूजनीय रही है। यह वाद ईदगाह संरचना के अस्तित्व को चुनौती देता है, क्योंकि यह दावा करता है कि यह एक अनधिकृत अधिरचना है जिसका निर्माण मुगल काल के दौरान मूल मंदिर के विध्वंस के बाद किया गया था।

    वादीगण ने कहा कि प्रतिवादी (विशेषकर प्रतिवादी नंबर 2 से 6, जो मथुरा के स्थानीय मुसलमान हैं) मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और कथित तौर पर उसके सामूहिक हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

    आवेदन, जिस पर शुक्रवार को अदालत ने निर्णय दिया, उसमें प्रतिवादी नंबर 1 से 6 के माध्यम से जो कथित तौर पर उक्त समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, भारत के मुस्लिम समुदाय के सभी 'समान हित रखने वाले' व्यक्तियों के विरुद्ध प्रतिनिधि क्षमता में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी गई।

    वादीगण ने तर्क दिया कि इससे मुकदमेबाजी की बहुलता से बचा जा सकेगा। मुकदमे का पूर्ण एवं प्रभावी निर्णय संभव हो सकेगा।

    दूसरी ओर, प्रतिवादी नंबर 1 (ईदगाह मस्जिद का प्रबंधन करने वाली समिति) और अन्य की ओर से उपस्थित वकील तस्नीम अहमदी ने आवेदन का विरोध करते हुए तर्क दिया कि उन्होंने (प्रतिवादियों ने) भारत के मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति कभी नहीं मांगी और उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    उन्होंने तर्क दिया कि आदेश 1 नियम 8 के तहत प्रतिनिधित्व स्वैच्छिक होना चाहिए। कोई वादी चुनिंदा व्यक्तियों (प्रतिवादियों) के माध्यम से पूरे धार्मिक समुदाय पर एकतरफा मुकदमा करने का दावा नहीं कर सकता।

    उन्होंने अदालत के पूर्व निर्देशों का भी हवाला दिया। इस बात पर आपत्ति जताई कि वाद नंबर 17 में वादियों द्वारा इस तरह की व्यापक प्रतिनिधि राहत मांगने से पहले भारत के मुस्लिम समुदाय को कोई नोटिस जारी करने का आदेश नहीं दिया गया था।

    संबंधित मुकदमों में वादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों सहित अन्य वकीलों ने भी आवेदन की स्वीकार्यता पर आपत्ति जताई, क्योंकि उनका तर्क था कि यह प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

    अन्य लोगों ने दावा किया कि वादियों का इरादा लोकप्रियता हासिल करना था। इस आवेदन का कोई कानूनी आधार नहीं है, क्योंकि वादी देवता को पहले से ही एक न्यायिक व्यक्ति के रूप में अपनी क्षमता में मुकदमा करने का अधिकार था।

    कुछ लोगों ने यह भी तर्क दिया कि चूंकि 15 मुकदमों को पहले ही समेकित कर दिया गया, इसलिए 2023 के वाद नंबर 17 (यद्यपि समेकित नहीं) से यह आवेदन दायर करने से मुख्य कार्यवाही की सुसंगतता भंग हो सकती है, जहां 2023 के वाद संख्या 1 को प्रमुख मामला घोषित किया गया।

    इस मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त 2025 को दोपहर 2:00 बजे निर्धारित की गई।

    Case title - Bhagwan Shri Krishna (Thakur Keshav Dev Ji Maharaj) Virajman And 4 Others vs. Anjuman Islamia Committee Of Shahi Masjid Idgah And 7 Others

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