नमाज पढ़ने के लिए पुलिस लाइन परिसर में मस्जिद में 'जबरन' प्रवेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने AIMIM नेता के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया

Shahadat

19 Feb 2024 8:29 AM GMT

  • नमाज पढ़ने के लिए पुलिस लाइन परिसर में मस्जिद में जबरन प्रवेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने AIMIM नेता के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया। उक्त नेता पर कथित तौर पर प्रतापगढ़ में पुलिस लाइन परिसर में स्थित एक मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए घुसने की कोशिश करने के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 बी और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1932 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    जस्टिस राजीव सिंह की पीठ ने आगे कहा कि पुलिस लाइन का परिसर संवेदनशील स्थान है, जहां शस्त्रागार, जिला वायरलेस कंट्रोल रूम और साइबर कंट्रोल रूम आदि स्थित हैं। इसलिए जिले के पुलिस अधीक्षक की वैध अनुमति के बिना बड़े पैमाने पर जनता को परिसर में अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

    कोर्ट की टिप्पणियां

    मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने शुरुआत में कहा कि अधिनियम 1932 की धारा 7 आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख (19 जून) से उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में लागू है।

    आईपीसी की धारा 153बी के तहत आरोप पत्र दाखिल करने से पहले मंजूरी न देने के तर्क के संबंध में अदालत ने कहा कि पुलिस अधीक्षक, प्रतापगढ़ ने मामले में आगे की जांच करने का फैसला किया था। उन्होंने एचसी को सूचित किया कि वह पूरी सावधानी बरतेंगे और संबंधित मामले की उचित और निष्पक्ष तरीके से आगे की जांच के लिए सावधानियां बरतेंगे।

    बेंच ने रद्द करने की याचिका खारिज करते हुए कहा,

    “ऐसी परिस्थितियों में केवल इस आधार पर कि जांच अधिकारी द्वारा सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी नहीं ली गई और संबंधित न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया, जिस पर न्यायालय ने संज्ञान लिया। आरोप पत्र के साथ-साथ संज्ञान आदेश भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह कानून की नजर में बुरा है।''

    अपीयरेंस

    आवेदक के वकील: ज्ञानेंद्र सिंह, अजमल खान, जावेद खान

    प्रतिवादी के वकील: सरकारी वकील डॉ. वी.के. सिंह की सहायता एजीए पीयूष सिंह और राज्य विधि अधिकारी शिवेंद्र सिंह राठौड़ ने की

    केस टाइटल- इसरार अहमद बनाम स्टेट ऑफ यूपी के माध्यम से. अतिरिक्त. प्रिं. सचिव. गृह विभाग सिविल सचिवालय. लको. और दूसरा 2024 लाइव लॉ (एबी) 100 [आवेदन यू/एस 482 नंबर - 2023 का 8877]

    Next Story