नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को संवैधानिक न्यायालय में जाने की धमकी देना आपराधिक अवमानना हो सकती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Avanish Pathak
27 Jan 2025 6:31 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारी को न्यायालयों, विशेषकर संवैधानिक न्यायालय में जाने से रोकने की धमकी देना आपराधिक अवमानना हो सकती है।
जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने अख्तर अली (जो नगर निगम, मेरठ में वरिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यरत थे) द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने अपने दंड आदेश और सेवा से बर्खास्तगी के संबंध में विभागीय अपील की अस्वीकृति को चुनौती दी थी।
नगर निगम, मेरठ के नगर आयुक्त द्वारा जारी बर्खास्तगी आदेश में कहा गया था कि याचिकाकर्ता ने अधिकारी से पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एफआईआर में याचिकाकर्ता के 2011 से 2016 तक के कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है।
एकल न्यायाधीश ने बर्खास्तगी आदेश (दिनांक 18 मार्च, 2018) में अधिकारी की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें सुझाव दिया गया था कि याचिकाकर्ता को एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति की आवश्यकता है।
न्यायाधीश ने तब कहा, "नियोक्ता द्वारा अपमानजनक नोट पर इस तरह की धमकी, जो किसी नागरिक को निवारण के लिए न्यायपालिका के न्यायालयों, विशेष रूप से, संवैधानिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से रोकती है, आपराधिक अवमानना का गठन कर सकती है।"
परिणामस्वरूप, न्यायालय ने नगर आयुक्त, नगर निगम, मेरठ को आदेश पारित करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी की पहचान करने और हलफनामे के माध्यम से उसका नाम रिकॉर्ड में लाने का निर्देश दिया।
इस मामले की सुनवाई आज (27 फरवरी को) होगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनवर हुसैन पेश हुए।