इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टुंडला से BJP MLA की जीत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
Amir Ahmad
16 Jun 2025 1:51 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले की टुंडला विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी विधायक (BJP MLA) प्रेमपाल सिंह धनगर की चुनावी जीत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने यह याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि चुनाव याचिका दाखिल करते समय आवश्यक तथ्यों का खुलासा नहीं किया गया।
मामले का सार
याचिकाकर्ता का कहना था कि टुंडला विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है, जबकि प्रतिवादी नंबर 1 (प्रेमपाल सिंह धनगर) गडेरिया/पाल/बघेल जाति से संबंधित हैं, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस आधार पर उनका नामांकन शुरू से ही अमान्य है।
चुनाव याचिका के लंबित रहने के दौरान, याचिकाकर्ता ने तथ्यों को जोड़ने के लिए संशोधन आवेदन दायर किया, जिसे यह कहकर खारिज कर दिया गया कि इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि कौन-कौन से तथ्य जोड़े जाने हैं। इसके बाद एक दूसरा संशोधन आवेदन दायर किया गया।
प्रतिवादी ने इस दूसरे संशोधन का विरोध किया यह कहते हुए कि इससे याचिका का मूल स्वरूप बदल जाएगा और नए तथ्य याचिका दायर करने के बाद नहीं जोड़े जा सकते।
साथ ही प्रतिवादी ने सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की ऑर्डर VII रूल 11 के तहत एक आवेदन दायर कर याचिका खारिज करने की मांग की, यह कहते हुए कि आवश्यक तथ्यों का अभाव है और इस कारण कारण का आधार (cause of action) नहीं बनता।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट वीरेंद्र सिंह ने दलील दी कि जिन तथ्यों को जोड़ने की बात हो रही है, वे पहले से ही याचिका के आधार में वर्णित हैं।
दूसरी ओर प्रतिवादी की ओर से एडवोकेट ए.पी. तिवारी ने कहा कि महत्वपूर्ण तथ्य और महत्वपूर्ण विवरण में अंतर होता है। यदि याचिका में आवश्यक महत्वपूर्ण तथ्य (Material Facts) नहीं हैं तो यह दोष घातक होता है और बाद में सुधारा नहीं जा सकता।
हाईकोर्ट की टिप्पणी,
कोर्ट ने सबसे पहले जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) की योजना का अध्ययन किया। कोर्ट ने कहा कि
धारा 81 के तहत चुनाव याचिका दायर की जाती है।
धारा 100 और 101 में चुनाव को चुनौती देने के आधार दिए गए।
धारा 83(1)(a) के अनुसार याचिका में वह सभी संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण तथ्य होने चाहिए जिन पर याचिकाकर्ता भरोसा करता है।
कोर्ट ने यह भी कहा,
"यदि याचिका में आवश्यक 'Material Facts' नहीं दिए गए तो यह चुनाव याचिका अधूरी मानी जाएगी और उसे खारिज किया जाना अनिवार्य होगा।"
अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव याचिका दाखिल करते समय ही सभी आवश्यक तथ्यों का खुलासा होना चाहिए और बाद में संशोधन द्वारा नए तथ्य नहीं जोड़े जा सकते।
इस आधार पर कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर संशोधन आवेदन नई याचिका के समान है और यह स्वीकार्य नहीं है। चूंकि आवश्यक तथ्य प्रस्तुत नहीं किए गए, जो कि एक अत्यावश्यक और असुधार्य त्रुटि (Incurable Defect) है, इसलिए याचिका अयोग्य और खारिज किए जाने योग्य है।
अंततः कोर्ट ने प्रतिवादी द्वारा दायर ऑर्डर VII रूल 11(a) के तहत आवेदन स्वीकार करते हुए चुनाव याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: Prem Pal Singh बनाम Prem Pal Singh Dhangar एवं 12 अन्य

