प्रथम दृष्टया, उम्मीदवारों की संपत्ति सत्यापन रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए ECI ज़िम्मेदार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

18 Aug 2025 10:53 AM IST

  • प्रथम दृष्टया, उम्मीदवारों की संपत्ति सत्यापन रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए ECI ज़िम्मेदार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया, भारतीय चुनाव आयोग (ECI) केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) से प्राप्त चुनावी उम्मीदवारों की संपत्ति प्रकटीकरण की सत्यापन रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए ज़िम्मेदार वैधानिक निकाय प्रतीत होता है।

    जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने लोक प्रहरी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2018 के फैसले के कार्यान्वयन के संबंध में लोक प्रहरी द्वारा अपने महासचिव एसएन शुक्ला (रिटायर आईएएस) के माध्यम से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

    इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि चुनाव उम्मीदवार फॉर्म 26 में अपनी संपत्ति का खुलासा करें और ऐसी सत्यापन रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएं।

    सोमवार को पारित अपने आदेश में न्यायालय ने उल्लेख किया कि 2018 के फैसले के बाद चुनाव आयोग और CBDT के बीच पत्राचार हुआ था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग इन रिपोर्टों को सार्वजनिक करने के लिए बाध्य था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

    ECI की ओर से सीनियर एडवोकेट ओपी श्रीवास्तव ने दलील दी कि आयकर विभाग को ये रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए थीं। हालांकि, विभाग के वकील ने ऐसी किसी भी बाध्यता से इनकार किया।

    इसके मद्देनजर, खंडपीठ ने इस प्रकार टिप्पणी की:

    "प्रथम दृष्टया, रिकॉर्ड में मौजूद दस्तावेजों से ऐसा प्रतीत होता है कि यदि ऐसा किया जाना था तो यह भारत के चुनाव आयोग द्वारा किया जाना था...प्रथम दृष्टया, भारत का चुनाव आयोग ही वह वैधानिक निकाय प्रतीत होता है, जिसे CBDT से प्राप्त सत्यापन रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए।"

    न्यायालय ने यह भी कहा कि यद्यपि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 2018 में पारित हो गया, फिर भी इसे 2025 में भी लागू नहीं किया गया।

    हालांकि, चूंकि चुनाव आयोग ने यह रुख अपनाया कि प्रकाशन की व्यवस्था भारत सरकार द्वारा विकसित की जानी है, इसलिए पीठ ने इस मुद्दे को महत्वपूर्ण बताते हुए निर्देश दिया कि गृह मंत्रालय के माध्यम से भारत संघ को जनहित याचिका में एक पक्षकार बनाया जाए।

    तदनुसार, न्यायालय ने भारत संघ, गृह मंत्रालय को उसके सचिव के माध्यम से कार्यवाही में विरोधी पक्षकार के रूप में शामिल करने का निर्देश दिया।

    इस प्रकार, मामले को 15 सितंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए खंडपीठ ने डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडे को निर्देश प्राप्त करने और रिट याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ध्यान में रखते हुए ऊपर उल्लिखित बातों को भी ध्यान में रखा।

    न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि भारत निर्वाचन आयोग और भारत सरकार के गृह मंत्रालय का जिम्मेदार अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इन कार्यवाहियों में शामिल हो।

    Case title - Lok Prahari Thru. General Secy. S.N.Shukla I.A.S.Retd.Adv. vs. Election Commission Of India Thru. Secy. General And Anr.

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