'ट्रायल कोर्ट' को 'लोअर कोर्ट' न कहें: इलाहाबाद हाईकोर्ट का रजिस्ट्री को निर्देश

Shahadat

16 Feb 2024 11:06 AM IST

  • ट्रायल कोर्ट को लोअर कोर्ट न कहें: इलाहाबाद हाईकोर्ट का रजिस्ट्री को निर्देश

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को ट्रायल कोर्ट को 'लोअर कोर्ट' के रूप में संदर्भित करना बंद करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस समित गोपाल की पीठ ने कहा,

    "'ट्रायल कोर्ट' को 'लोअर कोर्ट' के रूप में संदर्भित करने की प्रथा उचित नहीं है।"

    इसके साथ ही पीठ ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय को सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया कि अब से 'ट्रायल कोर्ट' का उल्लेख 'लोअर कोर्ट' के रूप में न किया जाए।

    एकल न्यायाधीश ने यह निर्देश समशाद अली नामक व्यक्ति द्वारा दायर आपराधिक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया, जिसमें अपराध में आरोपी-राकेश कुमार को बरी करने को चुनौती दी गई।

    पहले दो मौकों पर पीठ ने अपने कार्यालय को इस मामले में 'ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड' को तलब करने का निर्देश दिया। हालांकि, कार्यालय द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को "लोअर कोर्ट रिकॉर्ड" और "एल.सी.आर." के रूप में संदर्भित किया गया।"

    इस पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय ने निम्नलिखित टिप्पणी की:

    “इस न्यायालय के उक्त दोनों आदेश दिनांक 27.10.2023 और 11.10.2023 अपने पैराग्राफ नं. 3 और फिर पैराग्राफ नंबर 3 और 4 यह दर्शाते हैं कि इस न्यायालय ने विशेष रूप से रिकॉर्ड को "ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड" के रूप में संदर्भित किया। कार्यालय ने उक्त आदेश के अनुपालन में दी गई अपनी दोनों रिपोर्ट दिनांक 10.12.2023 और 08.02.2024 में उन्हें "लोअर कोर्ट रिकॉर्ड" और "एल.सी.आर." संदर्भित किया है। "ट्रायल कोर्ट" को "लोअर कोर्ट" के रूप में संदर्भित करने की प्रथा उचित नहीं है।"

    न्यायालय ने आगे कहा कि उक्त अदालत को 'लोअर कोर्ट' के रूप में संबोधित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि हमेशा "ट्रायल कोर्ट" के रूप में संबोधित किया जाना चाहिए, या जैसी भी स्थिति हो, उन मामलों में जिनमें सत्र न्यायाधीशों की अदालत के समक्ष अपील/संशोधन दायर किए गए।

    इसलिए न्यायालय ने एचसी के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह कार्यालय को सर्कुलर जारी करें कि अब से 'ट्रायल कोर्ट' को 'लोअर कोर्ट' के रूप में संदर्भित न किया जाए।

    जहां तक अदालत के समक्ष मामले का सवाल है, अदालत ने कहा कि मामले को संशोधित सूची में उठाए जाने के बावजूद, न तो आरोपी/प्रतिवादी नं. 2 उपस्थित है और न ही उसकी ओर से कोई प्रतिनिधित्व है।

    उसी के मद्देनजर, अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी/प्रतिवादी नंबर 2 के खिलाफ राकेश कुमार संबंधित सीजेएम के माध्यम से जमानती वारंट जारी किया जाए।

    संबंधित रिपोर्ट में, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपनी रजिस्ट्री से ट्रायल कोर्ट को 'लोअर कोर्ट' के रूप में संदर्भित करना बंद करने को कहा।

    केस टाइटल- समशाद अली बनाम यूपी राज्य और अन्य

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