इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक लिए बिना दूसरे व्यक्ति के साथ भागने के मामले में मां के आचरण का हवाला देते हुए नाबालिग की कस्टडी पिता को सौंपी
Avanish Pathak
27 Jan 2025 6:24 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए गए फैसले में नाबालिग बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपने का निर्देश दिया। न्यायालय ने मां पर आरोप लगाया कि उसने अपने पति से औपचारिक रूप से तलाक लिए बिना ही किसी अन्य व्यक्ति के साथ भाग गई।
जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि नाबालिग बच्चा, जो गौरवशाली देश का उभरता हुआ नागरिक है, उसके भविष्य की देखभाल 'ऐसी मां' नहीं कर सकती है, जो अपने पति को तलाक दिए बिना ही किसी व्यक्ति के साथ भाग गई।
सिंगल जज की बेंच ने कहा,
"पक्षकारों की ओर से से पेश तर्कों और याचिकाकर्ता संख्या एक के बयान पर विचार करते हुए, इस न्यायालय के समक्ष विचार का एकमात्र बिंदु याचिकाकर्ता संख्या 2 (कॉर्पस) का भविष्य सुरक्षित करना है, जो इस गौरवशाली देश का उभरता हुआ नागरिक है। देश के भविष्य की देखभाल ऐसी मां नहीं कर सकती है, जो याचिकाकर्ता संख्या 3 से तलाक लिए बिना ही किसी व्यक्ति के साथ भाग गई।"
इसके साथ ही एकल न्यायाधीश ने पिता (याचिकाकर्ता संख्या 3/सूरज कुमार) द्वारा अपनी पत्नी (याचिकाकर्ता संख्या 1/जागृति) और अपने बेटे (याचिकाकर्ता संख्या 2/सूरज कुमार (कॉर्पस)) की कस्टडी की मांग करने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया। उनका मामला यह था कि उनकी पत्नी और उनका बेटा प्रतिवादी संख्या 7 की अवैध कस्टडी में थे।
हालांकि, न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता संख्या एक (पत्नी) ने दावा किया कि वह और उसका बच्चा (याचिकाकर्ता संख्या 2) अपनी मर्जी से प्रतिवादी संख्या 7 के साथ रहते हैं। हालांकि, उसने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता संख्या 3 ही संबंधित बच्चे का पिता है।
याचिकाकर्ता संख्या 3 (पति/पिता) के वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल के पास अपने बच्चे के पालन-पोषण की देखभाल करने के लिए पर्याप्त वित्तीय साधन हैं, और याचिकाकर्ता संख्या 1 (पत्नी/मां) द्वारा अपनाई गई काल्पनिक और आकर्षक संस्कृति के आधार पर कॉर्पस के भविष्य को अधर में नहीं डाला जा सकता।
वकील द्वारा उठाए गए तर्कों पर विचार करते हुए पक्षों की ओर से और याचिकाकर्ता संख्या एक द्वारा दिए गए बयान के आधार पर न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि नाबालिग बच्चे को उस महिला के पास नहीं छोड़ा जा सकता जो याचिकाकर्ता संख्या 3 से तलाक लेने के रूप में कानून का उचित सहारा लिए बिना किसी व्यक्ति के साथ भाग गई है।
इसे देखते हुए, न्यायालय ने उप-निरीक्षक को, जिसने न्यायालय के समक्ष कॉर्पस प्रस्तुत किया था, याचिकाकर्ता संख्या 2/नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा उसके पिता/याचिकाकर्ता संख्या 3 को सौंपने का निर्देश दिया, तथा याचिकाकर्ता संख्या 3 की पहचान उसके वकील के माध्यम से सत्यापित की।
इस प्रकार, याचिका को आंशिक रूप से अनुमति दी गई।
केस टाइटलः जागृति और 2 अन्य बनाम यूपी राज्य और 6 अन्य 2025 लाइव लॉ (एबी) 35
केस साइटेशन: 2025 लाइव लॉ (एबी) 35