वीज़ा फर्जीवाड़ा केस: भारत-चीन तनाव और प्रत्यर्पण संधि न होने के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चीनी नागरिक की जमानत खारिज की
Praveen Mishra
30 Nov 2025 10:14 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक चीनी नागरिक श्युए फ़ेई उर्फ़ कोई की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी को रिहा करना भारत-चीन संबंधों और देश की आर्थिक सुरक्षा को देखते हुए “गंभीर जोखिम” होगा। आरोपी वीज़ा फर्जीवाड़ा, फर्जी दस्तावेज़ बनाने, अवैध निवास और आर्थिक अपराधों में शामिल होने के आरोपों का सामना कर रहा है।
जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने कहा कि अदालत सबूत अधिनियम की धारा 57(11) के तहत भारत और चीन के शत्रुतापूर्ण संबंधों को अनदेखा नहीं कर सकती। अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है, जिससे आरोपी के फरार होने पर उसे वापस लाना लगभग असंभव हो जाएगा।
मामले की पृष्ठभूमि
दो चीनी नागरिक नेपाल के रास्ते भारत में प्रवेश के दौरान पकड़े गए थे। उनकी पूछताछ से पुलिस नोएडा स्थित एक फ्लैट तक पहुँची, जहाँ से:
• एक फर्जी पासपोर्ट,
• फर्जी आधार कार्ड,
• और वीज़ा अवधि की अवैध रूप से बढ़ाई गई जानकारी
बरामद हुई।
आरोप है कि श्युए फ़ेई HTZN Technology Pvt. Ltd. और उससे जुड़ी इकाइयों को पर्दे के पीछे से संचालित करता था। यह कंपनी स्क्रैप से चिप्स और प्रोसेसर निकालकर चीन भेजने और क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए कमाई को विदेश में स्थानांतरित करने में शामिल थी।
आरोपी और सरकारी पक्ष की दलीलें
आरोपी की दलील:
• वह कंपनी का निदेशक या प्रमोटर नहीं,
• केवल सह-आरोपियों के बयानों के आधार पर फंसाया गया,
• जून 2022 से जेल में है,
• पासपोर्ट ज़ब्त कर उसे जमानत दी जा सकती है।
सरकार की दलील:
• आरोपी पूरे नेटवर्क का मुख्य संचालक (kingpin) है,
• फर्जी भारतीय पहचान बनाकर देश-विरोधी गतिविधियाँ चला रहा था,
• उसके कार्य भारत की आर्थिक सुरक्षा को नुकसान पहुँचा रहे हैं,
• चीन भागने की संभावना अत्यधिक है।
हाईकोर्ट का फैसला
कोर्ट ने कहा कि फर्जी दस्तावेज़ बरामद होना अविवादित है और गवाहों के बयान आरोपी की कंपनी संचालन में सक्रिय भूमिका की पुष्टि करते हैं।
अदालत ने टिप्पणी की:
“यदि आरोपी ज़मानत पर रिहा होता है, तो उसके अवैध रूप से देश छोड़कर चीन भाग जाने की पूरी आशंका है—जैसे एक सह-आरोपी पहले ही फरार हो चुका है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी का वीज़ा 2020 में ही समाप्त हो चुका है, इसलिए जमानत पर रिहा होने के बाद उसका भारत में रहना वैधानिक रूप से संभव नहीं।
सभी तथ्यों को देखते हुए अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
हालांकि, आरोपी तीन साल से अधिक समय से जेल में है, इसलिए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को कार्यवाही जल्द से जल्द पूरी करने का निर्देश दिया।

