'अत्यावश्यक मामला': सुनवाई के बाद अंतर-धार्मिक जोड़े के 'लापता' होने पर शनिवार को विशेष सुनवाई करेगा हाईकोर्ट

Shahadat

17 Oct 2025 10:00 PM IST

  • अत्यावश्यक मामला: सुनवाई के बाद अंतर-धार्मिक जोड़े के लापता होने पर शनिवार को विशेष सुनवाई करेगा हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश पुलिस अधिकारियों को अंतर-धार्मिक जोड़े को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया, जो इस सप्ताह की शुरुआत में हाईकोर्ट में एक सुनवाई में शामिल होने के बाद कथित तौर पर लापता हो गए थे।

    जस्टिस सलिल कुमार राय और जस्टिस दिवेश चंद्र सामंत की खंडपीठ कथित रूप से लापता जोड़े के संबंध में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए शनिवार (18 अक्टूबर), एक गैर-कार्य दिवस, को एक विशेष सुनवाई आयोजित करेगी।

    खंडपीठ ने कहा,

    "रिट याचिका में दिए गए कथनों के आधार पर हम पाते हैं कि मामला अत्यंत आवश्यक है।"

    साथ ही उसने पुलिस अधिकारियों को कल दोपहर 12 बजे कॉर्पस, यानी याचिकाकर्ता नंबर 2 (पुरुष) और उसके साथी को पेश करने का निर्देश दिया।

    अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि यद्यपि अगला दिन गैर-कार्य दिवस है, फिर भी रजिस्ट्री को विशेष सुनवाई की व्यवस्था करनी चाहिए।

    आदेश में कहा गया,

    "हमें ज्ञात है कि कल गैर-कार्य दिवस है। फिर भी प्रतिवादी इस कोर्ट में कॉर्पस प्रस्तुत करेंगे... और ऑफिस कोर्ट की बैठक के लिए आवश्यक व्यवस्था करेगा।"

    मामले की पृष्ठभूमि

    तहसीम नामक व्यक्ति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के अनुसार, मामला उसके भाई (शाने आलम) और उसकी साथी एक 20 वर्षीय हिंदू महिला (रश्मि) से संबंधित है, जो दोनों एक दूसरे से विवाह करने को तैयार हैं।

    याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि रश्मि के पिता द्वारा आलम द्वारा अपनी बेटी के अपहरण का आरोप लगाते हुए दर्ज कराई गई FIR से जुड़ी कई लंबित रिट याचिकाओं के संबंध में 15 अक्टूबर, 2025 को हाईकोर्ट में पेश होने के बाद दोनों प्रयागराज से लापता हो गए।

    बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में दावा किया गया कि FIR झूठी, मनगढ़ंत है। याचिकाकर्ताओं को परेशान करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से दर्ज की गई, क्योंकि इसमें दावा किया गया है कि लड़की अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई।

    याचिका में कहा गया कि FIR कथित घटना (जो कथित तौर पर 30 जुलाई, 2025 को हुई) के दो महीने बाद दर्ज की गई और इस अस्पष्टीकृत देरी ने अभियोजन पक्ष के मामले को संदिग्ध बना दिया।

    याचिका में आगे कहा गया कि दंपति को पहले हाईकोर्ट द्वारा (3 सितंबर, 2025 को) पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई थी। इसके बावजूद, स्थानीय पुलिस उनकी सुरक्षा करने में विफल रही। इसके बजाय शेन के भाई और रिश्तेदारों को हिरासत में लेकर उसके परिवार को परेशान किया।

    बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में यह भी कहा गया कि दंपति शेन अली और उसके रिश्तेदारों द्वारा दायर तीन संबंधित रिट याचिकाओं के संबंध में 15 अक्टूबर को हाईकोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए थे, जहां लड़की का बयान दर्ज किया गया था और उसने लड़के के मामले का समर्थन किया, क्योंकि उसने स्वीकार किया था कि वह अपनी मर्जी से उसके साथ थी।

    हालांकि, सुनवाई समाप्त होने के बाद, याचिका में कहा गया कि रश्मि के पिता (प्रतिवादी नंबर 6) कथित तौर पर कई लोगों के साथ अदालत परिसर में दंपति के पास पहुंचे।

    याचिका में कहा गया कि दोनों कुछ देर तक परिसर के अंदर रहे और बाद में अपने वकील को बताया कि हाईकोर्ट के सभी निकास द्वारों के पास कुछ लोग खड़े हैं। याचिका के अनुसार, शाम लगभग 5 बजे, दंपति कथित तौर पर एक ई-रिक्शा में परिसर से बाहर चले गए और उसके तुरंत बाद उनसे संपर्क टूट गया।

    याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि उसी शाम यह मामला तुरंत अदालत के समक्ष उठाया गया और खंडपीठ ने सरकारी वकील से स्थानीय पुलिस को सूचित करने को कहा और दंपति को "शहर की सीमा पार न करने" का निर्देश दिया।

    इसके बावजूद, याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया और गुमशुदगी के संबंध में कोई FIR दर्ज नहीं की गई।

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