कैंसर से पीड़ित टीचर की ट्रांसफर अर्जी 'सहानुभूति' से विचार करने के आदेश के बावजूद खारिज करने पर हाईकोर्ट हैरान
Shahadat
20 Nov 2025 11:09 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को यूपी बेसिक एजुकेशन बोर्ड, प्रयागराज के सेक्रेटरी के व्यवहार पर कड़ी नाराज़गी जताई। उन्होंने ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित असिस्टेंट टीचर के ट्रांसफर रिप्रेजेंटेशन को खारिज कर दिया, जबकि कोर्ट ने उनके मामले पर 'सहानुभूति' से विचार करने का पहले ही खास निर्देश दिया।
कोर्ट ने सेक्रेटरी को अपना पर्सनल एफिडेविट फाइल करने या अगली तारीख पर इस कोर्ट के सामने मौजूद रहने का निर्देश दिया।
जस्टिस प्रकाश पाडिया की बेंच ने कहा कि यह "बहुत हैरान करने वाला" है कि अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के मामले पर सहानुभूति से विचार करने के बजाय, टेक्निकल ग्राउंड पर उसकी रिक्वेस्ट को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने आगे कहा,
"कोर्ट का पहली नज़र में मानना है कि यह और भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस बात के बावजूद कि इस कोर्ट ने प्रतिवादी नंबर 4 को याचिकाकर्ता के मामले पर सहानुभूति से विचार करने का खास निर्देश दिया, लेकिन मामले के पहलू पर विचार किए बिना याचिकाकर्ता के दावे को मेरिट के आधार पर खारिज कर दिया गया।"
जानकारी के लिए आधार यह लिया गया कि जिस इंस्टिट्यूशन में पिटीशनर काम कर रही है, वहां सिर्फ़ दो टीचर हैं और राज्य सरकार की पॉलिसी के मुताबिक अगर किसी स्कूल में कम से कम 36 स्टूडेंट हैं, तो तीन टीचर की ज़रूरत होती है।
इस आधार पर हैरानी जताते हुए बेंच ने कहा कि हर दिन उनके सामने ऐसे मामले आ रहे हैं, जहां बड़ी संख्या में इंस्टिट्यूशन में, जहां 36 से ज़्यादा स्टूडेंट हैं, सिर्फ़ एक टीचर काम कर रहा है।
संक्षेप में मामला
पिटीशनर (कल्पना शर्मा) अगस्त, 2015 में अपनी पहली नियुक्ति के बाद से शाहजहांपुर के जूनियर हाई स्कूल में असिस्टेंट टीचर (साइंस) के तौर पर पोस्टेड हैं। वह ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं, जिसके लिए उनकी सर्जरी हुई और अभी वह गाजियाबाद के मैक्स कैंसर सेंटर में कीमोथेरेपी ले रही हैं।
उन्होंने पहले एक रिट याचिका दायर करके हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था, जिसमें उन्होंने शाहजहांपुर में काम करने की मुश्किलों का ज़िक्र किया। उन्होंने दावा किया कि उनका इलाज और परिवार, जिसमें उनके पति भी शामिल हैं, गाजियाबाद में रहते हैं, जो उनकी नौकरी की जगह से लगभग 320 KM दूर है। पिछले साल सितंबर में कोर्ट ने उसकी अर्जी का निपटारा करते हुए अधिकारियों को उसके रिप्रेजेंटेशन पर 'सहानुभूति से' फैसला करने का निर्देश दिया, यह देखते हुए कि उसका गाजियाबाद के मैक्स कैंसर सेंटर में इलाज चल रहा है।
हालांकि, इस आदेश के बावजूद, सेक्रेटरी ने पिटीशनर का दावा खारिज कर दिया। इसलिए उसने फिर से हाईकोर्ट का रुख किया।
रिजेक्शन ऑर्डर में कहा गया कि पिटीशनर के इंस्टिट्यूशन में सिर्फ दो टीचर हैं और चूंकि 36 स्टूडेंट हैं, इसलिए पॉलिसी के तहत कम से कम तीन टीचर की ज़रूरत है। अधिकारियों ने आगे सुझाव दिया कि पिटीशनर 'म्यूचुअल ट्रांसफर' के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर सकता है।
रिजेक्शन को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताते हुए बेंच ने सेक्रेटरी से जवाब फाइल करने या खुद मौजूद रहने को कहा।
मामला 20 नवंबर को नई सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया।

