हाईकोर्ट ने UP PCS(J) Exam प्रक्रिया में सुधार का सुझाव देने वाली जस्टिस माथुर आयोग की रिपोर्ट पर पक्षकारों से जवाब मांगा
Shahadat
11 July 2025 10:16 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को जस्टिस गोविंद माथुर (हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस) की अध्यक्षता वाले सदस्यीय आयोग द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें उत्तर प्रदेश पीसीएस (जे) प्रतियोगी परीक्षाओं (UP PCS(J) Exam) के संचालन में तत्काल सुधार और प्रक्रियात्मक संशोधनों की सिफारिश की गई।
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने दर्ज किया कि प्रारंभिक रिपोर्ट (भाग-I) 14 सेटों में प्रस्तुत की गई। इसके साथ संलग्न एक कवर लेटर में निर्दिष्ट किया गया कि रिपोर्ट मूलतः कुछ व्यापक मुद्दों पर आधारित है और परीक्षा प्रक्रिया में तत्काल सुधार और संशोधन के लिए है।
कवर लेटर में यह भी कहा गया कि प्रतियोगी परीक्षाओं के संचालन में शामिल अन्य वैधानिक एजेंसियों और वर्णनात्मक मूल्यांकन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले संस्थानों से इनपुट प्राप्त करने के बाद अंतिम सिफारिशें प्रस्तुत की जाएंगी।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि कार्यालय प्रारंभिक रिपोर्ट की प्रतियाँ पक्षकारों के वकीलों को उपलब्ध कराए ताकि वे उसका अवलोकन कर सकें और अपने लिखित उत्तर प्रस्तुत कर सकें।
न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को करेगा।
उल्लेखनीय है कि यह रिपोर्ट हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश के अनुसरण में दायर की गई, जिसमें परीक्षा के संचालन और मूल्यांकन में विसंगतियों और कदाचारों के संबंध में कई अभ्यर्थियों द्वारा उठाई गई गंभीर चिंताओं की जांच के लिए आयोग की नियुक्ति की गई।
जैसा कि पहले बताया गया, न्यायालय ने आयोग से 31 मई, 2025 तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का आग्रह किया, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुझाव शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. UPPCS (J) Exam की मूल्यांकन प्रक्रिया को चयन की आवश्यकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील और UPPCS सहित सभी हितधारकों के लिए अधिक विश्वसनीय बनाने के तरीके और साधन।
2. ऐसी प्रक्रियाओं और कार्यप्रणालियों को लागू करने के लिए उठाए जाने वाले कदम।
3. आयोग द्वारा निर्धारित स्वीकृत विधियों और प्रथाओं से विचलन की जांच के लिए संशोधित या लागू किए जाने वाले सिस्टम।
4. ऐसे कारण और परिस्थितियां, जिनके कारण आयोग 30 अगस्त, 2023 को परिणाम घोषित होने से पहले अपनी गलतियों का पता लगाने और समय पर सुधार करने में असमर्थ रहा।
बता दें, उक्त आयोग का गठन तब किया गया, जब मुख्य याचिकाकर्ता श्रवण पांडे ने सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी और एडवोकेट शाश्वत आनंद के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि उनकी अंग्रेजी उत्तर पुस्तिका के साथ छेड़छाड़ की गई और लिखावट उनकी अपनी लिखावट से मेल नहीं खाती।
पांडे के अलावा, कई अन्य उम्मीदवारों ने भी अपनी शिकायतों के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसमें अंकन में विसंगतियों और कदाचार के आरोपों के आधार पर नियुक्ति पत्र जारी करने की मांग की गई।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने जुलाई, 2024 में स्वयं PCS-J 2022 मुख्य परीक्षा में 50 उम्मीदवारों की मेरिट सूची तैयार करने में त्रुटि स्वीकार की थी।
कई याचिकाओं की एक-दूसरे से जुड़ी प्रकृति को देखते हुए न्यायालय ने न्यायिक नियुक्तियों की निष्पक्षता की रक्षा के लिए व्यापक और स्वतंत्र जांच की आवश्यकता पर बल दिया था।
न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया था कि मानकीकृत और विश्वसनीय मूल्यांकन तंत्र सुनिश्चित करने के लिए आयोग की सामान्य प्रथाओं और प्रक्रियाओं में सुधार और उन्नयन की आवश्यकता हो सकती है।