मस्जिद विध्वंस की रिपोर्टिंग से जुड़े मामले में पासपोर्ट NOC से वंचित BBC पत्रकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली राहत

Shahadat

7 Jun 2025 5:16 PM IST

  • मस्जिद विध्वंस की रिपोर्टिंग से जुड़े मामले में पासपोर्ट NOC से वंचित BBC पत्रकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली राहत

    बाराबंकी में रामसनेहीघाट मस्जिद के विध्वंस पर 2021 की अपनी रिपोर्ट को लेकर FIR का सामना कर रहे BBC से जुड़े पत्रकार मोहम्मद सेराज अली को राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को बाराबंकी की अदालतों के दो आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें पासपोर्ट के नवीनीकरण/जारी करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देने से इनकार कर दिया गया था।

    अली ने पत्रकार मुकुल चौहान के साथ जून, 2021 में द वायर के लिए काम करते हुए एक वीडियो रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज की थी, जिसमें धारा 153, 153ए, 120-बी और 501(1)(बी) शामिल हैं।

    अली बाद में सितंबर, 2021 में BBC में शामिल हो गए। इसके अलावा, 2022 में मामले में उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया और संबंधित अदालत ने इस पर संज्ञान लिया।

    चूंकि उनका पासपोर्ट अप्रैल, 2023 में समाप्त होने वाला था, इसलिए अली ने 30 सितंबर, 2022 को इसके नवीनीकरण के लिए आवेदन किया। हालांकि, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने लंबित आपराधिक मामले के कारण ट्रायल कोर्ट से NOC मांगी।

    इसलिए अली ने आवश्यक NOC की मांग करते हुए बाराबंकी में संबंधित अदालत का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, चूंकि उनका आवेदन खारिज कर दिया गया था, इसलिए उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया।

    उनकी ओर से पेश हुए एडवोकेट अरीब उद्दीन अहमद, अमान सिद्दीक, अर्पित वर्मा और वसीक उद्दीन ने तर्क दिया कि अस्वीकृति आदेश रद्द किए जाने योग्य हैं।

    उन्होंने प्रस्तुत किया कि लंबित आपराधिक कार्यवाही वाले मामलों में पासपोर्ट के प्रयोजनों के लिए NOC जारी करना निश्चित तरीके से होना चाहिए, जिसमें कुछ शर्तें शामिल होनी चाहिए, जैसा कि भारत संघ द्वारा जारी दो कार्यालय ज्ञापनों (अक्टूबर 2019 और अगस्त 1993) में उल्लिखित है।

    यह उनका प्राथमिक तर्क है कि ट्रायल कोर्ट ने लागू कार्यालय ज्ञापनों का संदर्भ लिए बिना या उन पर विचार किए बिना अली के आवेदन को सरसरी तौर पर खारिज कर दिया, जो ट्रायल कोर्ट की ओर से स्पष्ट रूप से विवेक का प्रयोग न करने को दर्शाता है। इस प्रकार, उन्होंने केवल इसी आधार पर आरोपित आदेशों को रद्द करने की प्रार्थना की।

    इन दलीलों को ध्यान में रखते हुए जस्टिस अब्दुल मोइन की पीठ ने आरोपित आदेशों को खारिज करते हुए उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया, क्योंकि इसने नोट किया कि ट्रायल कोर्ट ने संबंधित कार्यालय ज्ञापनों (अक्टूबर, 2019 और अगस्त, 1993) का संदर्भ लिए बिना ही उनकी याचिका खारिज की थी, जो कि मोहम्मद अयाज उर्फ ​​अनस तथा 2 अन्य बनाम यूपी राज्य के मामले में हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार एक आवश्यक आवश्यकता थी।

    अपने आदेश में पीठ ने निम्नलिखित निर्देश भी जारी किए:-

    1. अली 20 दिनों के भीतर संबंधित क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी के समक्ष अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण/पुनः जारी करने के लिए इस आदेश की प्रमाणित प्रति के साथ एक नया आवेदन प्रस्तुत करेगी।

    2. उसके द्वारा नया आवेदन प्रस्तुत करने पर संबंधित क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी/प्राधिकरण आवेदन पर निर्णय लेगा तथा 1 महीने के भीतर आवेदक के पासपोर्ट के नवीनीकरण/पुनः जारी करने के लिए आदेश पारित करेगा।

    3. अली विदेश जाने से पहले संबंधित ट्रायल कोर्ट को सूचित करेगा तथा उससे अनुमति लेगा।

    4. वह ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित तिथि पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित होगा तथा वह ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए नियमों एवं शर्तों से बंधा होगा।

    Case title - Syed Mohammad Seraj Ali vs. State Of U.P. Thru. Addl. Chief Secy. (Home) Deptt. Home Govt. Of U.P. Lko. And 2 Others 2025 LiveLaw (AB) 213

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