इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में DRT के काम न करने पर चिंता जताई, वित्त मंत्रालय से नियुक्तियों में तेजी लाने को कहा
Shahadat
5 July 2025 11:37 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रयागराज में पीठासीन अधिकारी की कमी के कारण ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) के लंबे समय से काम न करने पर संज्ञान लिया। स्थिति को 'चिंताजनक' बताते हुए न्यायालय ने वित्त मंत्रालय से डीआरटी में रिक्त पदों को तत्काल भरने का आग्रह किया।
जस्टिस शेखर बी सराफ और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता ने SARFAESI Act, 2002 की धारा 14 के तहत पारित एकपक्षीय आदेश को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता ने जबरन वसूली उपायों के खिलाफ भी सुरक्षा मांगी, क्योंकि उसने प्रस्तुत किया कि एक गारंटर के रूप में वह उधारकर्ता को देय राशि का भुगतान करने के लिए हमेशा तैयार था।
न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले की तरह ही प्रयागराज DRT के ठीक से काम न करने के कारण हाईकोर्ट में इसी तरह की राहत की मांग करने वाली कई रिट याचिकाएं दायर की जा रही हैं। न्यायालय ने कहा कि हालांकि तत्काल मामलों को अस्थायी रूप से DRT जबलपुर द्वारा निपटाया जा रहा था, लेकिन DRT जबलपुर को दिया गया अतिरिक्त प्रभार 24 जून, 2025 को समाप्त होने के बाद यह व्यवस्था भी समाप्त हो गई। अब कोई भी मामला नहीं सुना जा रहा है, भले ही वह तत्काल हो।
खंडपीठ ने टिप्पणी की,
"उपर्युक्त स्थिति चिंताजनक है। इसके परिणामस्वरूप मामलों की सुनवाई में अत्यधिक देरी हो रही है।"
साथ ही कहा कि DRT के ठीक से काम न करने के कारण याचिकाकर्ता जैसे पक्षकारों के पास कोई उपाय नहीं है। परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को आवश्यक कार्रवाई के लिए वित्त मंत्रालय और इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASGI) के कार्यालय को वर्तमान आदेश से अवगत कराने का निर्देश दिया। न्यायालय ने ASGI को अगली सुनवाई की तारीख पर उपस्थित होने का भी निर्देश दिया।
मामले के गुण-दोष के आधार पर सेलीर एलएलपी बनाम बाफना मोटर्स (मुंबई) प्राइवेट लिमिटेड और अन्य 2023 लाइव लॉ (एससी) 808 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसने पाया कि सुरक्षित संपत्ति पहले ही बेची जा चुकी है (दिसंबर 2024 में) और यहां तक कि बिक्री प्रमाण पत्र भी जारी किया जा चुका है (मार्च 2025 में)।
हालांकि, कोर्ट ने प्रतिवादी बैंक को दो सप्ताह के भीतर अपना संक्षिप्त जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले को 29 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
Case title - Yadunandan Pandey vs. State Of U.P. And 3 Others

