इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में अब्बास अंसारी की सजा पर लगाई रोक
Praveen Mishra
21 Aug 2025 9:30 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व विधायक अब्बास अंसारी की तीन साल पुराने नफरत फैलाने वाले भाषण के मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार करने से न केवल उनके साथ बल्कि मतदाताओं के साथ भी अन्याय होगा, जिन्होंने उन्हें चुना था।
2022 में मऊ से चुने गए अब्बास को 2022 में किए गए एक अभियान भाषण के लिए मई 2025 में दो साल की कैद की सजा सुनाई गई थी, जिसके कारण उन्हें विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। सत्र अदालत ने जहां उसकी सजा पर रोक लगा दी थी, वहीं उसकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अब्बास ने हाईकोर्ट का रुख किया।
जस्टिस समीर जैन ने राहुल गांधी के मामले में 2024 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अयोग्यता निर्वाचित प्रतिनिधि और मतदाताओं दोनों को प्रभावित करती है। न्यायालय ने कहा कि केवल इस तरह का भाषण देने से उन्हें उनकी विधायी भूमिका से वंचित नहीं होना चाहिए, और सत्र न्यायालय इस पर विचार करने में विफल रहा।
न्यायालय ने यह भी जोर देकर कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 का उद्देश्य राजनीति के अपराधीकरण को रोकना है, लेकिन प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किया जाना चाहिए।
सत्र अदालत के आदेश को रद्द करते हुए जस्टिस जैन ने फैसला सुनाया कि अपील के दौरान अब्बास की दोषसिद्धि निलंबित रहेगी, इसे "दुर्लभ और असाधारण मामला" कहा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह अवलोकन केवल स्थगन का फैसला करने के लिए था और अपीलीय अदालत स्वतंत्र रूप से फैसला करेगी।
अब्बास अंसारी के वकील ने तर्क दिया कि उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार करने से उनके राजनीतिक करियर को नुकसान हुआ, क्योंकि वह छह साल के लिए अयोग्य हैं। यूपी सरकार ने उनकी याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें IPC की धारा 171F, 153Aऔर 189 के तहत दोषी ठहराया गया था।

