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सुप्रीम कोर्ट ने पारसी मंदिर के नीचे मेट्रो टनल बनाने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगाने से मना किया [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
21 Dec 2018 6:32 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने पारसी मंदिर के नीचे मेट्रो टनल बनाने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगाने से मना किया [आर्डर पढ़े]
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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह बॉम्बे हाईकोर्ट के उस निर्णय पर रोक लगाने से मना कर दिया जिसमें उसने महाराष्ट्र में पारसी मंदिर के नीचे से मेट्रो टनल बनाने की अनुमति दी थी।

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलील को आंशिक रूप से सुनने के बाद इस मामले की सुनवाई 4 जनवरी 2019 को करने का आदेश दिया।

पारसी धर्म को मानने वाले पाँच लोगों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील कर कहा था कि अग्नि मंदिर के नीचे से मेट्रो टनल खोदने की अनुमति नहीं दी जाए। उनकी एक आपत्ति यह थी कि अगर आतश बेहराम्स परिसर के नीचे से मेट्रो के टनल को खोदने की अनुमति दी जाती है तो इससे आध्यात्मिक वृत्त भंग हो जाएगा और भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाओं की नकारात्मक ताक़तें पवित्र अग्नि पर प्रहार करेंगे और इस तरह ये उसकी आध्यात्मिक शक्ति को कम कर देंगे।

हाईकोर्ट ने अपने 467 पृष्ठ के इस फ़ैसले में इस मंदिर के नीचे मेट्रो टनेल खोदने की इजाज़त दे दी। पीठ ने कहा कि दोनों आतश बेहराम्स की संरचना और उसकी अखंडता को कोई नुक़सान नहीं होगा और ना ही कलबादेवी मेट्रो स्टेशन से ही कोई नुक़सान होने वाला है।

न्यायमूर्ति आरजी केतकर ने अपने अलग फ़ैसले में कहा कि टनल के मंदिर के नीचे से जाने से आध्यात्मिक वृत्त के टूटने और पवित्र अग्नि के आध्यात्मिक ताक़त में कमी आने जैसे दावों का पारसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है। याचिकाकर्ता यह साबित करने में विफल रहे हैं कि इस तरह की बातें इस धर्म का अभिन्न हिस्सा हैं। इस तरह के विश्वासों को संविधान के अनुच्छेद 25 का संरक्षण प्राप्त नहीं है।

इस तरह पीठ ने इस याचिका का निस्तारन कर दिया और मेट्रो को इस मंदिर के नीचे से टनल खोदने की अनुमति दे दी। लेकिन कोर्ट ने इस मंदिर के नीचे टनल बनाने के दौरान कुछ बातों का ख़याल रखने का निर्देश दिया है। इन निर्देशों में कहा गया है कि टनल खोदने के कारण दो आतश बेहराम्स की संरचना को कोई नुक़सान नहीं हो। टनल खोदने के दौरान मशीन को चलाने के दौरान होने वाले कम्पन का ध्यान रखा जाएगा और इस दौरान विशेषज्ञों का दल दिन रात वहाँ मौजूद रहेगा। अगर हो सकता है तो टनल खोदने के दौरान मशीन को धीरे चलाया जाए। मंदिर के नीचे टनल खोदने के लिए नियंत्रित विस्फोट का सहारा लिया जाए।

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