2002 गुजरात दंगा : मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जनवरी तक टाली

LiveLaw News Network

4 Dec 2018 4:31 AM GMT

  • 2002 गुजरात दंगा : मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जनवरी तक टाली

    गुजरात में 2002 गोधरा कांड के बाद हुए दंगों की जांच करने वाली SIT के गुजरात के  तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी व अन्य को क्लीन चिट देने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई करेगा।

    जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने ये सुनवाई याचिकाकर्ता जाकिया जाफरी और तीस्ता शीतलवाड़ के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के अनुरोध पर स्थगित की।

    सोमवार को हुई सुनवाई में सिब्बल ने कहा कि वो इस संबंध में भारी संख्या में दस्तावेज दाखिल करना चाहते हैं जिससे पता चलता है कि ये एक बड़ी साजिश थी। सिब्बल ने कहा कि ये मामला गुलबर्गा सोसाइटी से ही जुड़ा हुआ नहीं है।

    इस पर पीठ ने उन्हें वक्त दे दिया।

    पिछली सुनवाई में SIT ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को एनजीओ ‘सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस के तौर पर याचिका दाखिल करने का विरोध किया था।

    SIT की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि तीस्ता इस मामले में ना तो प्रभावित हैं ना ही पहले की याचिकाकर्ता।

    वहीं तीस्ता के वकील ने कहा कि वो कोर्ट की मदद करना चाहती हैं।

    इस पर पीठ ने था कहा कि वो याचिकाकर्ता के तौर पर नहीं बल्कि कोर्ट की सहायता कर सकती हैं।

    वहीं मुकुल ने कहा था कि निचली अदालत ने 400 पन्नों का आदेश जारी किया था। गुजरात हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। 15 साल हो चुके हैं और मामले को लंबा नहीं खींचा जा सकता है।

    SIT की मोदी व अन्य नेताओं और नौकरशाहों  को क्लीन चिट को बरकरार रखने के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वकील अपर्णा भट्ट के माध्यम से दाखिल याचिका में मोदी व अन्य के खिलाफ जांच कराने की मांग की गई है।

    गौरतलब है कि पांच अक्तूबर 2017 को  गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी। हाईकोर्ट ने  जाकिया जाफरी की इन दंगों के पीछे बड़ी साजिश वाली बात से भी इनकार किया  था।

    दरअसल हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था।

    दंगों में मारे गए पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ‘सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस’ ने दंगों के पीछे ‘‘बड़ी आपराधिक साजिश’’ के आरोपों के संबंध में पीएम मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ आपराधिक याचिका दायर की थी लेकिन हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया था।

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