आपराधिक अपील के लंबित होने के कारण इंजीनियर को 10 सालों से नहीं मिल रही है नौकरी; सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से उसके मामले का जल्दी निपटारा करने को कहा [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
21 Nov 2018 10:44 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि वह एक युवक की आपराधिक अपील को शीघ्रता से निपटा दे। यह युवक एक योग्यताप्राप्त इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर है और एमबीए स्नातक है।
जब हाईकोर्ट ने जल्दी से सुनवाई करने की उसकी अपील ठुकरा दी तो संतोष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। बाद में हाईकोर्ट ने उसके निलंबन को समाप्त करने के आग्रह को भी ठुकरा दिया था।
संतोष को आईपीसी की धारा 326 के तहत दोषी माना गया था और उसको निचली अदालत ने पाँच साल के सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई थी।
हाईकोर्ट के समक्ष यह अपील की गई कि संतोष अनुसूचित जनजाति का एक बहुत ही प्रतिभाशाली युवक है, उसका भविष्य काफ़ी उज्ज्वल है और उसे कई नौकरियाँ मिल सकती हैं। उसके पिता एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे और इस अपील के अदालत में लंबित रहने के दौरान उनकी 6 सितंबर 2011 को उनकी मौत हो गई। यह भी कहा गया कि उसके पिता की मौत के सात साल के भीतर उसे अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति मिल सकती है पर एक आपराधिक मामले में सज़ा दिए जाने के कारण वह इस मौक़े का फ़ायदा नहीं उठा सका और शीघ्र ही नौकरी के लिए आवश्यक उम्र सीमा को वह पार कर जाएगा।
यह भी कहा गया कि इस मामले के पक्षकार मामले को सुलझा चुके हैं और समझौते के बाद उन्होंने सज़ा माफ़ी के लिए आवेदन भी दिया जो हाईकोर्ट के विचाराधीन पड़ा हुआ है कि इस पर इस मामले पर होने वाली अंतिम सुनवाई के समय ग़ौर किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यही बातें कही गईं और न्यायमूर्ति एनवी रमना और एमएम शांतानागौदर की पीठ ने कहा, “हमने इस बात पर ग़ौर किया है कि याचिकाकर्ता को निचली अदालत ने उसको दोषी मानते हुए उसे पाँच साल के सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई है और यह भी कि याचिकाकर्ता एक योग्य इंजीनियर और एमबीए स्नातक है पर उसके ख़िलाफ़ मामले के लम्बित रहने के कारण उसे कोई नौकरी नहीं मिल रही है। यह घटना 2005 की है और पिछले दस साल से यह अपील हाईकोर्ट के समक्ष लम्बित है। उपरोक्त तथ्यों पर ग़ौर करते हुए हम हाईकोर्ट से आग्रह करते हैं कि वह इस लंबित आपराधिक अपील का निस्तारन आज से छह माह के अंदर कर दे।