यूपी में मुठभेड़ : राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, याचिकाएं दुर्भावनापूर्ण
LiveLaw News Network
17 Nov 2018 3:47 PM IST
उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही पुलिस मुठभेड़ पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं को राज्य सरकार ने प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण बताया है।
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि अपराधियों को पीडित बनाकर पेश किया गया।
हलफनामे में कहा गया है कि ये मुठभेड़ कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश के दौरान जान बचाने के लिए बचाव में की गईं। प्रदेश मे इस दौरान चार पुलिसकर्मियों की जान गई जबकि 329 पुलिसकर्मी घायल हुए।
सरकार ने ये भी कहा है कि अल्पसंख्यकों को मुठभेड़ में मारने का आरोप गलत सही नहीं है और मुठभेड़ में मारे गए 48 लोगों में से 30 बहुसंख्यक हैं। इन सबकी न्यायिक जांच शुरु की गई है और मानवाधिकार आयोग को रिपोर्ट दी गई। इन सब मामलों में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किया गया है।
पीठ ने कहा है कि याचिकाकर्ता इस पर अरना जवाब दाखिल करें और दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी।
चार जुलाई को उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही पुलिस मुठभेड़ पर पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ( PUCL) की याचिका पर पीठ ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय पारिख ने कहा कि अभी तक की जानकारी के मुताबिक एक साल में करीब 15 सौ पुलिस मुठभेड़ हो चुकी हैं जिनमें 58 लोगों की मौत हो गई है। इन मुठभेड़ की कोर्ट की निगरानी या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में सीबीआई या SIT से जांच होनी चाहिए। साथ ही पीड़ितों के परिवारवालों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। पारिख ने पीठ को बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी मामले की जांच शुरू की है।पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ता को कॉपी यूपी सरकार की वकील ऐश्वर्या भाटी को देने के लिए कहा था।
याचिका में NGO ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पुराने बयानों को भी शामिल किया है जिनमें उन्होंने अपराधियों को गोली मारने की बात की है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा NHRC को दिए गए आंकड़े के मुताबिक 1 जनवरी 2017 से 31 मार्च 2018 तक मुठभेड़ में 45 लोगों की मौत हुई है जबकि सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध आंकड़े कहते हैं कि पिछले एक साल में 1100 मुठभेड़ में 49 लोगों की मौत हुई और 370 लोग घायल हुए। याचिका में PUCL बनाम महाराष्ट्र राज्य में सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले का हवाला दिया गया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मुठभेड़ की जांच के लिए गाइडलाइन जारी की थी।
याचिका में मांग की गई है कि इन सभी मामलों की सीबीआई या SIT से जांच कराई जाए। जांच की या तो सुप्रीम कोर्ट खुद निगरानी करे या फिर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज इसकी अगुवाई करें। पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा दिलाया जाए।