अदालतों को छात्रों का अस्थाई प्रवेश लेने के लिए अंतरिम आदेश देने से बचना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
15 Nov 2018 8:08 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के एक फ़ैसले को निरस्त करते हुए कहा कि अदालतों को छात्रों को अस्थाई प्रवेश देने के बारे में अंतरिम आदेश देने से बचना चाहिए।
एसवीएस शैक्षणिक एवं सामाजिक ट्रस्ट ने तमिलनाडु के डॉ. अमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी के आदेश के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी क्योंकि उसने बीएचएमएस में वर्ष 2016-2017 अकादमिक वर्ष में प्रवेश केलिए उसको अस्थाई सम्बद्धता देने के आग्रह को अस्वीकार कर दिया था। अपने अंतरिम आदेश में मद्रास हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को कहा था कि वह इस कॉलेज को होमियोपैथी कोर्स में प्रवेश के लिए काउन्सलिंग मेंभाग लेने दे। खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश के ख़िलाफ़ अपील को रद्द कर दिया था।
विश्वविद्यालय ने जो विशेष अनुमति याचिका दायर की उसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की एसए बोबड़े और एल नागेश्वर राव की पीठ ने विश्वविद्यालय की इस दलील को सही माना कि चूँकि कॉलेज को कोईऔपचारिक मान्यता नहीं मिली है, इसलिए उसकी अस्थाई मानयता बनाए रखने का कोई मतलब नहीं है।
“यह कॉलेज उस राहत का हक़दार नहीं है जो उसे हाईकोर्ट ने दिया है कि वह 2017-18 अकादमिक वर्ष के लिए बीएचएमएस पाठ्यक्रम में छात्रों का प्रवेश ले सकता है क्योंकि न तो उसको केंद्र सरकार से अनुमतिमिली है और ना ही विश्वविद्यालय ने उसे किसी तरह की मान्यता दी है।
पीठ ने इस तरह, हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया और कहा कि अदालतों को छात्रों के प्रवेश के बारे में अंतरिम आदेश देने से बचना चाहिए।