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पति की मौत के एक दशक बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक़ के ख़िलाफ़ पत्नी की याचिका स्वीकार की [निर्णय पढ़ें]
![पति की मौत के एक दशक बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक़ के ख़िलाफ़ पत्नी की याचिका स्वीकार की [निर्णय पढ़ें] पति की मौत के एक दशक बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक़ के ख़िलाफ़ पत्नी की याचिका स्वीकार की [निर्णय पढ़ें]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2018/05/Delhi-High-Court-2.jpg)
उसकी पति को मरे एक दशक हो गया है और अब दिल्ली हाईकोर्ट ने उसे अपने पति से तलाक़ लेने की उसकी अर्ज़ी पर अपना फ़ैसला दिया है। कोर्ट ने एक दशक बाद तलाक़ के आदेश के ख़िलाफ़ पत्नी की याचिकाको को स्वीकार कर लिया है।
वर्ष 2007 में पारिवारिक अदालत ने उनकी शादी को यह कहते हुए समाप्त घोषित कर दिया था कि दोनों ऐसी स्थिति में पहुँच गये हैं जहाँ से अब लौटना उनके लिए मुश्किल है और उनकी शादी टूट चुकी है। पत्नी ने2008 में इसके ख़िलाफ़ एक अपील दायर की और उसी दौरान उसके पति की मौत हो गई। मामले में पति का प्रतिनिधित्व उसके बाप ने किया।
पत्नी ने अपनी अपील में कहा था कि आपसी सहमति से तलाक़ के लिए उसको बाध्य नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें आपसी सहमति की बात है ही नहीं।
इस मामले पर ग़ौर करने के बाद न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13B-2 के तहत आपसी सहमति की बात अब सुनवाई की स्थिति तक जारी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि उससमय जो तलाक़ आ आदेश दिया गया था वह इस मामले के संदर्भ में नहीं दिया जाना चाहिए था।
कोर्ट ने कहा,“…यह नहीं माना जा सकता कि तलाक़ के लिए पक्षों की सहमति प्राप्त है क्योंकि इस सहमति को तलाक़ के आदेश की तिथि तक जारी रहना ज़रूरी है और कोर्ट दोनों ही पक्षों को इस बारे में सुननाक़ानूनी रूप से ज़रूरी है ताकि यह सुनिश्चहित किया जा सके कि उनकी इसमें सहमति है जो कि स्पष्ट रूप से, इस मामले में नहीं किया गया। अपीलकर्ता तो उस दिन 6 अक्टूबर 2007 को कोर्ट में मौजूद भी नहीं थाजब आपसी सहमति से तलाक़ की अनुमति उन्हें दी गई।”