शराब का व्यवसाय जारी रखना मौलिक अधिकार नहीं, लेकिन राज्य योग्य शराब आपूर्तिकर्ताओं में भेद न करे : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
6 Oct 2018 5:49 PM IST
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि नागरिकों का शराब का कारोबार या व्यापार जारी रखना कोई मौलिक अधिकार नहीं है क्योंकि शराब के कारोबार को निजी अधिकार नहीं माना जा सकता।
हालांकि, न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल ने कहा कि अगर राज्य शराब के व्यापार और कारोबार की अनुमति देता है, तो वह इस व्यवसाय में लगे योग्य आपूर्तिकर्ताओं में भेदभाव नहीं कर सकता।
विदेशी शराब के दो उत्पादक/विक्रेता ने हाईकोर्ट में राज्य की शराब खरीद नीति का विरोध किया यह कहते हुए कि यह नीति मनमानी, अपारदर्शी और अधिकारियों को बेलगाम स्वेच्छापूर्ण अधिकार देता है।
पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उद्धृत करते हुए कहा कि अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत शराब का कारोबार मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि शराब के बारे में राज्य के पास दो विकल्प है - (a) शराब के कारोबार पर पूरी तरह प्रतिबंध (b) शराब के उत्पादन, बिक्री और इसके भंडारण और वितरण पर एकाधिकार कायम करना (c) निजी पार्टियों को शराब के कारोबार की अनुमति देना।
कोर्ट ने इसके बाद कहा, “...राज्य का यह दायित्व है कि वह शराब के कारोबार में लगे सभी लोगों को प्रतिस्पर्धा का समान अवसर उपलब्ध कराए”।
इसके बाद अदालत ने राज्य को निर्देश दिया कि वह शराब की खरीद के लिए आवश्यक दिशानिर्देश तय करे ताकि उत्पादनकर्ता/याचिकाकर्ता को आदेश जारी करे ताकि शराब की खरीद में गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके।