सीलिंग: सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी से कहा, कानून को हाथ में नहीं ले सकते, एक हफ्ते में दाखिल करें जवाब
LiveLaw News Network
26 Sept 2018 9:22 AM IST
दिल्ली के गोकलपुरी में मकान की सीलिंग तोड़ने पर अदालत में पेश हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर हलफनामे के जरिए जवाब देने के निर्देश दिए हैं।
मंगलवार को जस्टिस मदन बी लोकुर, एस अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की पीठ ने मनोज तिवारी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सासंद कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते।
वहीं सासंद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि सांसद ने जिस मकान की सील तोड़ी वो गाय की डेयरी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग हो रहा है।
इस पर पीठ ने कहा , “ हमने भाषण की सीडी देखी है, आपने कहा है कि ऐसी हजार से ज्यादा जगह हैं जो सील होनी चाहिएं, आप इस सूची को हमें दीजिए, हम आपको ही सीलिंग ऑफिसर नियुक्त कर देंगे।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीडी को देखकर सासंद एक हफ्ते में जवाब दाखिल करें। तीन अक्तूबर को अगली सुनवाई तय की गई है। उस दिन सासंद तिवारी को फिर से पेश होना होगा।
19 सितंबर को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी द्वारा पूर्वी दिल्ली में जबरन सीलिंग तोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना का नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी को पेश होने का आदेश भी जारी किया है।
जस्टिस मदन बी लोकुर, एस अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की पीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुने गए प्रतिनिधि ही कोर्ट के फैसले की अवमानना करते हैं।
सुनवाई के दौरान अमिक्स क्यूरी ने कहा कि सांसद ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है जबकि कोर्ट का आदेश है कि मॉनिटरिंग कमेटी के काम मे बाधा नही पहुचाई जाएगी। साथ ही ये भी कहा कि ये कदम सरकारी काम में बाधा पहुंचाना है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी ने कोर्ट में दाखिल अर्जी में मनोज तिवारी के खिलाफ अवमानना का केस चलाने और कडी कार्रवाई की मांग की है। मॉनिटरिंग कमेटी ने अर्जी के साथ गोकुलपुर में जबरन सील तोडने संबंधी वीडियो भी सुप्रीम कोर्ट में लगाया है। इससे पहले सीलिंग कार्रवाई में बाधा पहुंचाने पर बीजेपी विधायक ओपी शर्मा समेत कई नेताओं सुप्रीम कोर्ट को तलब कर चुका है। हालांकि उनके बिना शर्त मांफी मांगने पर कोर्ट ने उन्हें छोड़ दिया।