प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को लेकर J& K पहुंचा सुप्रीम कोर्ट,आदेश में संशोधन की गुहार

LiveLaw News Network

7 Sep 2018 1:48 PM GMT

  • प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को लेकर J& K पहुंचा सुप्रीम कोर्ट,आदेश में संशोधन की गुहार

    जम्मू कश्मीर में प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को लेकर राज्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तीन जुलाई के उस आदेश में संशोधन करने की मांग की गई है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी राज्य में कार्यकारी पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी)  नियुक्त नहीं होंगे।

    शुक्रवार को सुबह राज्य की ओर से पेश वकील शोएब आलम ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को बताया कि राज्य के डीजीपी एस पी वैद्य का तबादला किया गया है। लेकिन राज्य के विशेष हालात, कानून व्यवस्था और आतंकवाद को देखते हुए राज्य पुलिस के डीजीपी के पद को कभी भी रिक्त नहीं रखा जा सकता। इसलिए सरकार की ओर से चीफ सेकेट्री ने डीजी ( जेल) दिलबाग सिंह को डीजीपी का प्रभार सौंपा है।

    अर्जी में ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक UPSC को वरिष्ठ IPS अफसरों की सूची भेजी गई है लेकिन नियुक्ति में समय लगेगा। ऐसे में ये नियुक्ति अस्थाई तौर पर स्थाई डीजीपी नियुक्त होने तक की गई है।

    उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को ही याचिका पर सुनवाई करने का अनुरोध किया।

    गौरतलब है कि तीन जुलाई को देशभर में पुलिस सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को आदेश दिया था कि वो कहीं भी कार्यकारी पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी)  नियुक्त नहीं करेंगे।

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए  कहा था कि कार्यकारी डीजीपी नियुक्त करना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य डीजीपी का पद रिक्त होने से तीन महीने पहले UPSC को वरिष्ठ IPS अफसरों की सूची भेजेंगे और राज्य उसी अफसर को DGP बनाएंगे जिसका कार्यकाल दो साल से ज्यादा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं।

    दरअसल केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को बताया था कि ज्यादातर राज्य रिटायर होने की कगार पर पहुंचे अफसरों को कार्यकारी डीजीपी नियुक्त करते हैं।फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर नियमित डीजीपी बना देते हैं क्योंकि इससे अफसर को दो साल और मिल जाते हैं।

    वेणुगोपाल ने कहा कि सिर्फ पांच राज्य तमिलनाडु, आंध्रा, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक ने ही 2006 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक DGP की नियुक्ति के लिए UPSC से अनुमति ली है जबकि 25 राज्यों ने ये नहीं किया। राज्य सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का मिसयूज कर रहे हैं इसलिए सुप्रीम कोर्ट को अपने आदेशों में संशोधन करना चाहिए।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट पुलिस सुधार पर दिए गए आदेश लागू नहीं करने पर दायर की गई अवमानना याचिका की सुनवाई कर रहा था।

    याचिका में कहा गया कि साल 2006 में पुलिस सुधार पर दिए गए अदालत के आदेश को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक लागू नहीं किया है।अदालत ने डीजीपी और एसपी का कार्यकाल तय करने जैसे कदम उठाने की सिफारिश की थी।

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