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‘स्तंभित’ सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हल्के में लेने के कारण आयकर विभाग पर लगाया 10 लाख का जुर्माना [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
29 Aug 2018 11:34 AM GMT
‘स्तंभित’ सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हल्के में लेने के कारण आयकर विभाग पर लगाया 10 लाख का जुर्माना [निर्णय पढ़ें]
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सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले को गंभीरता से नहीं लेने के कारण सोमवार को आयकर विभाग पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।

 जुर्माने का यह आदेश न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति  अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सुनाया। इस बारे में याचिका आयकर आयुक्त (सीआईटी), गाज़ियाबाद ने दायर किया था जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के अगस्त 2016 के फैसले को चुनौती दी गई थी।

 शुरू में कोर्ट ने कहा कि यह याचिका को दायर करने में 596 दिनों की देरी हुई है और इसके लिए जो स्पष्टीकरण दिया गया है वह अपर्याप्त है।

 कोर्ट ने सीआईटी की इस बात पर गौर किया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसी तरह का और मामला भी लंबित है पर रजिस्ट्रार के कार्यालय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सितंबर 2012 में ही निपटा दिया।

 “...याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष भरमाने वाला बयान दिया है,” पीठ ने कहा।

 विभाग के रवैये से दुखी कोर्ट ने आयकर विभाग की पैरवी कर रहे वकील की खिंचाई की और कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट की आँखों में धूल झोंक रहे हैं। “हम यह देखकर हैरान हैं कि भारत सरकार ने आयकर आयुक्त के माध्यम से इस मामले को कितनी अगंभीरता से लिया है,” कोर्ट ने कहा।

 जैसा कि हमने नोट किया है कि 596 दिन की देरी के बारे में अपर्याप्त कारण बताये गए हैं और फिर सुप्रीम कोर्ट में इसी तरह के मामले के लंबित होने के बारे में उसने गलत बयानी की है।”

इस याचिका को ख़ारिज करते हुए पीठ ने आदेश दिया कि चार सप्ताह के भीतर विभाग 10 लाख रुपए सुप्रीम कोर्ट की विधिक सेवा समिति के पास जमा कराए। कोर्ट ने यह राशि जुवेनाइल जस्टिस मामले के लिए देने का आदेश दिया।

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