देशभर में दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर रोक की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
LiveLaw News Network
28 Aug 2018 8:10 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश भर में दिवाली के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए बिक्री पटाखों की बिक्री और पटाखे चलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने केंद्र, तमिलनाडु सरकार, पटाखा निर्माताओं और याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलील पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
वहीं 22 अगस्त को याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि कुछ विशिष्ट शर्तों के साथ पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति दी जा सकती है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएनएस
नाडकर्णी ने जस्टिस ए के बेंच सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ के समक्ष इस संबंध दलीलें पेश की थीं। दरअसल ये पीठ देशभर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की याचिकाओं की सुनवाई कर रही हैक्योंकि वे वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
उन्होंने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के परामर्श से दायर केंद्र के हलफनामे को अदालत में पेश किया था। इसके तहत केंद्र ने कम उत्सर्जन पटाखों के उपयोग का सुझाव दिया जिनमें 15 से 20 प्रतिशत तक राख के कण कम हों।
यह कहा गया कि PESO यह सुनिश्चित करेगा कि केवल उन पटाखों जिनके डेसिबल स्तर सीमा के भीतर हैं, बाजार में बेचने की अनुमति हो और उल्लंघन होने पर निर्माताओं के लाइसेंस को निलंबित करके कार्रवाई की जाए।
इसमें यह कहा गया है कि जुड़े हुए यानी सीरीज पटाखों के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है क्योंकि इनसे भारी हवा, शोर और ठोस अपशिष्ट समस्याएं होती हैं।
प्रमुख भारतीय शहर कुछ देशों में अपनाए गए सख्त समय प्रतिबंध के साथ सामुदायिक पटाखे चलाने का विकल्प तलाश सकते हैं।
इसके साथ ही अन्य प्रतिबंधों का पता लगाया जा सकता है जैसे पटाखों की अनुमति केवल उन क्षेत्रों / फील्ड में ही दी जा सकती है जो पूर्व-पहचाने और संबंधित राज्य सरकार द्वारा पूर्व-निर्धारित किए गए हों।
वहीं तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड अमोर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन, शिवकाशी की ओर से यह प्रस्तुत किया गया था कि आतिशबाजी दिवाली समारोह का एक निहित हिस्सा रही है।न केवल हिंदु बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी इस त्योहार में भाग लेते हैं।पटाखों की रोशनी और शोर दिवाली उत्सव के लक्षण हैं जबकि अंधेरा और चुप्पी दुःख और शोक को दर्शाता है। अदालत को यह बताया गया अकेले शिवकाशी में पटाखों की 350 इकाइयां हैं और ये कारोबार हजारों करोड़ रुपये का है जो तीन लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और दस लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है।
दिवाली के दौरान पटाखों के उपयोग के खिलाफ कोई प्रतिकूल दिशानिर्देश पूरे आतिशबाजी उद्योग पर और लाखों लोगों की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डालेगग जो पूरी तरह से इस उद्योग पर निर्भर हैं। तमिलनाडु के वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े ने पटाखों पर प्रतिबंध का विरोध किया था और कहा कि प्रतिबंध एक चरम उपाय है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण की समस्या के समाधान से खुद को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए राजधानी में 'ईवन और ऑड’ कार विनियमन का हवाला दिया था और कहा था कि लोगों ने दो कारें (एक विषम और एक सम नंबर) खरीदने का सहारा लिया और यह एक बड़ी समस्या बन गई। वकील ने कहा कि इस उद्योग ने क्षेत्र के विकास के लिए बहुत योगदान दिया है। पटाखा इकाइयों द्वारा स्थापित स्कूलों और कॉलेजों में लाखों छात्रों को शिक्षा प्रदान की जा रही है।