छत्तीसगढ़ की युवती को सुप्रीम कोर्ट ने मां-पिता के साथ रहने की आजादी दी, मुस्लिम से हिंदू बने पति की याचिका खारिज
LiveLaw News Network
27 Aug 2018 2:06 PM IST
केरल की हादिया को अपने पति के साथ रहने की आजादी देने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की 23 साल की युवती को मां- पिता के साथ रहने की आजादी दे दी।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ के सामने पेश इस युवती ने पीठ के पूछने पर कहा कि वो अपने पति नहीं बल्कि मां- पिता के साथ रहना चाहती है।
सोमवार को चीफ जस्टिस ने युवती से पूछा कि वो परिवार के किसी दबाव में तो नहीं है ? लेकिन युवती ने इससे इनकार कर दिया।
हालांकि उसने स्वीकार किया कि उसने मुस्लिम युवक से शादी की थी जिसने धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म अपना लिया था। हालांकि उसने कहा कि उसे बहलाकर ये शादी की गई। पीठ ने साफ किया कि वो वैवाहिक स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है।
पति की ओर से पेश वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि घरवाले उस पर दबाव बना रहे हैं और उसे पता नहीं कौन से नशे की दवा दे रहे हैं। इसलिए पीठ को एक मेडिकल बोर्ड बनाकर युवती की जांच करानी चाहिए। लेकिन पीठ ने इससे इनकार करते हुए कहा कि ये याचिका खारिज की जाती है। जब खुद ही युवती उसके साथ नहीं जाना चाहती तो कोर्ट ऐसे आदेश जारी नहीं कर सकता।
गौरतलब है किछत्तीसगढ़ में 23 साल की एक हिंदू लड़की से शादी करने वाले मुसलमान से हिंदू बनने 33 वर्षीय एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को उसके माता-पिता के कब्जे से आजाद कराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी और कहा था कि उसने उसकी पत्नी के परिवार को उसे मुक्त करने का आदेश देने से इनकार कर गलती की है। उसने कहा था कि उसकी और उसकी पत्नी की जान पर खतरा है। उसकी पत्नी को उसके माता-पिता उसकी मर्जी के विरुद्ध स्वतंत्रता से वंचित कर रहे हैं। उसे भी उसकी पत्नी के घरवाले और समाज के कुछ अन्य कट्टरपंथी तत्व धमकी दे रहे हैं।उसने कहा कि उसकी पत्नी ने हाई कोर्ट में कहा कि वह 23 साल की है और बालिग है तथा अपनी मर्जी से उसने उससे शादी की है। हाई कोर्ट ने छात्रावास में उसके रहने का इंतजाम कराने का निर्देश दिया था। दोनों ने 25 फरवरी, 2018 को रायपुर के आर्य समाज मंदिर में शादी की थी।इससे पहले युवक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार से जवाब मांगा था और पुलिस अधीक्षक को युवती को सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे।