कठुआ रेप केस : सुप्रीम कोर्ट ने तालिब हुसैन की रिहाई के लिए चचेरी बहन की याचिका पर जम्मू- कश्मीर सरकार को एक हफ्ते का वक्त दिया
LiveLaw News Network
21 Aug 2018 5:04 PM IST
कठुआ रेप केस मामले के गवाह तालिब हुसैन से हिरासत में टार्चर के आरोपों पर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 28 अगस्त को सुनवाई करेगा। पीठ ने जम्मू-कश्मीर सरकार को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के सामने सुनवाई के दौरान हुसैन की चचेरी बहन की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि पुलिस तालिब को हिरासत में टार्चर कर रही है तो वहीं हुसैन के खिलाफ रेप की शिकायत करने वाली पीड़िता के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वो एक हिस्ट्री़शीटर है और उस पर दस और FIR दर्ज हैं। ऐसे में वो बाहर आया तो पीड़िता को परेशान कर सकता है।
वहीं जम्मू- कश्मीर सरकार की ओर से पेश शोएब आलम ने पीठ को बताया कि उन्हें ये याचिका अभी मिली है इसलिए जवाब दाखिल करने के लिए वक्त चाहिए। पीठ ने इसके लिए राज्य सरकार को एक सप्ताह का वक्त दे दिया।
गौरतलब है कि 8 अगस्त को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर सरकार को नोटिस जारी कर एक हफ़्ते में जवाब मांगा था।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तालिब हुसैन पर रेप का आरोप है और उस पर FIR भी दर्ज हैं। ऐसे में ये केस हैबियस कॉरपस का नहीं बनता।
इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि तालिब को गैर कानूनी तौर पर हिरासत में रखा गया है ऐसे में वो हैबियस कॉर्पस की याचिका दाखिल कर सकते हैं। लेकिन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को अवैध हिरासत की बात साबित करनी होगी। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि महिला की शिकायत पर उन्हें गिरफ्तार किया गया जबकि एक अन्य FIR पर तालिब को अग्रिम जमानत मिली हुई है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर गिरफ्तारी कानून के मुताबिक हुई है तो उस हिसाब से कानून काम करेगा।
इंदिरा जयसिंह ने कहा कि वो रिहाई के लिए नही बल्कि कस्टडी में टॉर्चर को लेकर कोर्ट आए हैं।
वहीं शिकायतकर्ता के वकील ने इस याचिका का विरोध किया था।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या की घटना में महत्वपूर्ण गवाह तालिब हुसैन के अवैध हिरासत में होने का आरोप लगाते हुए उनकी चचेरी बहन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तुरंत रिहाई की मांग की है। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही इस मामले का ट्रायल पंजाब के पठानकोट में ट्रांसफर कर दिया था।
याचिकाकर्ता मुमताज अहमद खान ने हैबियस कॉरपस याचिका में चचेरे भाई तालिब हुसैन की जम्मू-कश्मीर सरकार की हिरासत से तत्काल रिहाई के लिए दिशा निर्देंश मांगे हैं।
उन्होंने कहा है कि तालिब हुसैन जिन्होंने कठुआ से नाबालिग लड़की से दुर्भाग्यपूर्ण बलात्कार और हत्या को उजागर करने में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में एक अहम भूमिका निभाई है, को बलात्कार के झूठे आरोपों में फंसाया गया है और 28 जुलाई से हिरासत में लिया गया है।
यह आरोप लगाया गया है कि ऑल ट्राइबल कम्युनिटीज काउंसिल के अध्यक्ष तालिब हुसैन को थर्ड डिग्री उत्पीड़न के अधीन किया गया है जिसकी वजह से उन्हें खतरनाक चोटें आई हैं।
जबकि इस अदालत ने कहा है कि पुलिस हिरासत / लॉक-अप में हिंसा, यातना संविधान के अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के साथ-साथ बुनियादी मानवाधिकारों और कानून के शासन पर हमला है।
उन्होंने कहा है कि उच्चतम न्यायालय को स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए अन्यथा यह संभव है कि तालिब हुसैन को जान से हाथ धोना पड़े या ऐसी लंबी अवधि और स्थायी चोटें मिले जो कानूनी रूप से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन के अधिकार को कम कर देंगी।
याचिका में प्रस्तुत किया गया है कि यह तालिब हुसैन ही था जिसने मृतक के परिवार को न्याय सुनिश्चित करने और इस मामले में उचित जांच सुनिश्चित करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। इस मामले ने सांप्रदायिक रंग भी ले लिया था
इसलिए तालिब हुसैन को कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।
याचिका में तालिब हुसैन को रिहा कराने के साथ-साथ यातना देने वालों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।