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ऐसे समय में जब रिटायर होने के बाद जजों में नियुक्ति पाने की होड़ लगी होती है, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज ए सेल्वम ने चुना खेती करना

एक ऐसे समय में जब कुछ भी वायरल हो जाता है, ऐसा हमेशा नहीं होता कि एक पूर्व जज का अपने खेतों में ट्रैक्टर चलाना वायरल हो जाए।
हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज ए सेल्वम का अपने खेत में ट्रैक्टर चलाता वीडिओ पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस वीडिओ में सेल्वम टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनकर सर में गमछा बांधकर ट्रैक्टर से अपना खेत जोतते हुए नजर आ रहे हैं।
द न्यूज़ मिनट की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेल्वम खेती करने वाले परिवार से आते हैं। इस वर्ष अप्रैल में रिटायर हुए सेल्वम पुलानकुरिची में अपने पांच एकड़ जमीन की खेती में जुट गए हैं।
Living in the midst of nature makes him happy, he says. A shot of retd. HC judge A Selvam on his tractor. pic.twitter.com/IOPsL2Vzle
— Megha Kaveri (She/Her) (@meghakaveri) August 3, 2018
सेल्वम कहते हैं कि खेती का गुर सीखना उनके लिए एक बहुत ही सुखद अनुभव था और अब वह खुद अपना खेत जोतते हैं,ट्रैक्टर चलाते हैं और खेती से जुड़ी हर तरह की बारीकियों को समझते हैं।
सेल्वम 1981 में बार में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए और जिला न्यायालय की सीढियां चढ़ते हुए ऊपर उठे। जुलाई 2006 में उन्हें मद्रास हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया और नवंबर 2009 में उन्हें हाईकोर्ट में स्थाई नियुक्ति मिल गई। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ के प्रशासनिक जज के रूप में उन्हें प्रसिद्धि तब मिली जब उन्होंने सीमई करुवेलम पेड़ के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन चलाया। उनकी कार्रवाई ने एक आंदोलन का रूप ले लिया और हाईकोर्ट ने लोगों से मिले चंदे और मुकदमादारों पर लगे जुर्मानों की राशि से धन एकत्र किया।
सेल्वम का कोर्ट में कार्यकाल का अंतिम दिन भी काफी दिलचस्प था। द हिंदू अखबार में छपी एक खबर के अनुसार, सेल्वम ने अपने विदाई सम्मान और रात्रिभोज का निमंत्रण स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया जबकि ऐसा रिटायर होने वाले हाईकोर्ट जजों के प्रोटोकॉल का हिस्सा होता है। उन्होंने अपने सरकारी कार की चाबी हाईकोर्ट पहुँचते ही रजिस्ट्री को तत्काल सौंप दी और हाईकोर्ट से अपने निजी कार में वापस घर गए।
उनकी ईमानदारी के कारण 31 साल के उनके करियर की प्रशंसा के रूप में मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए उनके चैम्बर में जाकर उन्हें अलविदा कहा। इसके बाद हाईकोर्ट के कई अन्य जजों ने भी उनको विदाई दी।
उनके एक निजी स्टाफ ने उनकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा का बखान करते हुए कहा, "अय्या ने राज्य के खर्चे पर एक कप कॉफ़ी तक नहीं पी। उन्होंने अपनी जेब से इसके लिए पैसे दिए। वे अपने चैम्बर और घर पर एयर कंडीशनर का प्रयोग नहीं करते थे। उनके जैसा आदमी मिलना बहुत कठिन है। हम सभी लोगों के लिए उनसे बिछड़ना एक बहुत ही भावुक कर देने वाला क्षण था। हम उनसे बिछड़ते हुए रो पड़े।"
उन्होंने रजिस्ट्री को बता दिया था कि वे अपना सरकारी बँगला अगले दिन सुबह खाली करेंगे और पुदुकोट्टई जिला स्थित अपने पैत्रिक गाँव जाएंगे जहां उनकी योजना खेती करने की है। अपनी बातों पर खड़ा उतरते हुए, अब वह एक खुशी किसान की भूमिका में हैं। उनको कहते हुए सुना गया है, "अब हम प्रकृति के क़ानून से साक्षात्कार कर रहे हैं जिसे किसी किताब में नहीं खोजा जा सकता और मैं इसका आनंद उठा रहा हूँ।"