किसी अन्य राज्य के एससी/एसटी प्रमाणपत्र के आधार पर तमिलनाडु में मेडिकल में प्रवेश नहीं मिल सकता : मद्रास हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
30 July 2018 9:55 AM GMT
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे छात्र जिन्होंने किसी अन्य राज्य से जाति प्रमाणपत्र प्राप्त किया है, वे इस प्रमाणपत्र का प्रयोग तमिलनाडु में आरक्षित कोटे के तहत एमबीबीएस में प्रवेश के लिए नहीं कर सकते हैं।
मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने एस गीता की याचिका पर यह निर्णय दिया। गीता ने आंध्र प्रदेश से एससी का प्रमाणपत्र प्राप्त किया है और उसने इस प्रमाणपत्र के आधार पर तमिलनाडु में एमबीबीएस में प्रवेश की अनुमति माँगी थी।
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि कॉलेज के प्रोस्पेक्टस में स्पष्ट उल्लेख है कि अगर कोई छात्र किसी अन्य राज्य से जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करते हैं तो उनकी उम्मीदवारी सामान्य श्रेणी के तहत मानी जाएगी।
कोर्ट ने इस दलील से सहमति जताते हुए कहा, “मेरी राय में याचिकाकर्ता को इस याचिका पर कोई राहत नहीं मिल सकती है क्योंकि उसने जो जाति प्रमाणपत्र पेश किया है उसे आंध्र प्रदेश सरकार ने जारी किया है...”।
न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा फरवरी 1985 में जारी अधिसूचना का उल्लेख करते हुए कहा, “एससी/एसटी श्रेणी का कोई व्यक्ति अपने गृह राज्य के बाहर किसी अन्य राज्य में शिक्षा या रोजगार के लिए जाता है तो उसे अपने गृह राज्य का एससी/एसटी ही माना जाएगा और वह अपने गृह राज्य में ही इस श्रेणी के होने की वजह से मिलने वाली सुविधाओं का अधिकारी होगा न कि उस राज्य में जहां वह प्रवास कर रहा है।”
इसके बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी को आम श्रेणी में रखा जाए। कोर्ट ने कहा, “...यह तथ्य पूरी तरह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता ने जाति प्रमाणपत्र आंध्र प्रदेश से प्राप्त किया है और प्रोस्पेक्टस के क्लॉज़ 18(b) के अनुसार, याचिकाकर्ता को इसके तहत कोई लाभ नहीं मिल पाएगा और उसकी उम्मीदवारी आम श्रेणी की मानी जाएगी न कि आरक्षित श्रेणी की।”