सुप्रीम कोर्ट ने डीपीएस वर्ल्ड फाउंडेशन को ब्रांड नाम “दिल्ली पब्लिक स्कूल” या “डीपीएस” नाम का प्रयोग करने से रोका [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

25 July 2018 9:28 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने डीपीएस वर्ल्ड फाउंडेशन को ब्रांड नाम “दिल्ली पब्लिक स्कूल” या “डीपीएस” नाम का प्रयोग करने से रोका [आर्डर पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को डीपीएस वर्ल्ड फाउंडेशन को ब्रांड ‘डीपीएस’ मार्क या ‘दिल्ली पब्लिक स्कूल’ लोगो का प्रयोग करने से रोक दिया।

     यह आदेश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आर बानुमती और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। यह याचिका दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसाइटी ने दायर की थी जिसमें उसने गत वर्ष अप्रैल में दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ के एक फैसले को चुनौती दी है।

     अपने इस आदेश में खंडपीठ ने एकल जज द्वारा दिए गए फैसले को सही ठहराया था जिसमें डीपीएस वर्ल्ड फाउंडेशन को‘डीपीएस’ मार्क या दिल्ली पब्लिक स्कूल के पंजीकृत मार्क या इससे मिलते जुलते भ्रामक मार्क का प्रयोग करने से रोक दिया था। कोर्ट ने हालांकि कहा था कि एकल जज ने ‘दिल्ली पब्लिक स्कूल’ मार्क पर कोई रोक नहीं लगाया है और इस तरह उसने यह डीपीएस वर्ल्ड फाउंडेशन पर छोड़ दिया है कि वह चाहे तो इसका प्रयोग कर भी सकता है।

     कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, यह गौर करना भी संगत होगा कि अपील में ट्रेड मार्क नाम दिल्ली पब्लिक स्कूल पर रोक लगाने की विशेष मांग की गई थी पर जज ने इसे नकार दिया है।

     इसलिए, हो सकता है कि यह प्रतिवादी नंबर एक पर है कि वह ट्रेड नाम/’दिल्ली’ ‘पब्लिक’ ‘स्कूल’ शब्द सहित मार्क को अपनाए। हालांकि, वादी का पंजीकृत ट्रेड मार्क/नाम ‘डीपीएस’ किसी भी तरह से प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।”

     सुप्रीम कोर्ट ने अब कहा है कि शब्द समूह ‘दिल्ली पब्लिक स्कूल’ का पंजीकरण तब कराया गया था जब एकल जज के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए लंबित था और डीपीएस वर्ल्ड फाउंडेशन इसका प्रयोग नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसकी अनुमति देना खंडपीठ की चूक है।

    “...हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रतिवादी को ‘दिल्ली पब्लिक स्कूल’ शब्द समूह के प्रोग की अनुमति देकर गलती की है।”

     इसके बाद यह स्पष्ट करते हुए कि उसका आदेश अंतरिम है और इसका इस मामले की सुनवाई पर असर नहीं होगा। कोर्ट ने कहा, “हम ‘डीपीएस’ या ‘दिल्ली पब्लिक स्कूल’ या उसके लोगो के प्रयोग पर रोक लगा रहे हैं...” ।


     
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